ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने एक बार फिर कहा कि कृषि सुधार कानूनों की वापसी के अतिरिक्त किसी भी विषय पर किसानों और उनकी यूनियनों से बात करने के लिए सरकार हमेशा तैयार है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कृषि कानूनों की तारीफ करते हुए कहा कि कृषि कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के बालिका छात्रावास का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उन्होंने छात्रावास का धार्मिक पूजापाठ और फीता काटकर उद्घाटन किया। ग्वालियर बस स्टैंड के सामने स्थित कृषि कॉलोनी परिसर में सर्व सुविधायुक्त बालिका छात्रावास का निर्माण किया गया है, इसमें 56 बालिकाओं के आवास की व्यवस्था है। छात्रावास का निर्माण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा दी गई 2 करोड़ रुपये से अधिक की राशि से हुआ है।
बालिका छात्रावास उदघाटन के मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री( स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के उप महा निदेशक (शिक्षा) डॉ आर सी अग्रवाल, भाजपा जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद थे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एस के राव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस मौके पर कुलसचिव डी एल कोरी भी मौजूद थे।
पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों की वापसी के अतिरिक्त किसी भी विषय पर किसानों और उनकी यूनियनों से बात करने के लिए सरकार हमेशा तैयार है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कृषि कानूनों की तारीफ करते हुए कहा कि कृषि कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को लाने से पहले 20 साल तक देश के कृषि वैज्ञानिकों ने इसपर बहुत मेहनत की हैराज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने अपने समय में इसपर प्रयत्न किये हैं और इसके परिणाम स्वरुप कृषि सुधार कानून लागू हुए हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकांश क्षेत्र, अधिकांश यूनियन और अधिकांश यूनियन इन कानूनों के समर्थन में हैं. जिन लोगों को आपत्ति है उनसे सरकार ने कई दौर की वार्ता की है हमने किसान यूनियन के लोगों से कहा है कि बिल वापसी के अतिरिक्त कोई और विषय है तो सरकार आपसे बात करने के लिए तैयार है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....