Transfer in Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश के 7.50 लाख सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए अच्छी खबर है। एक हफ्ते के बाद प्रदेश में 6 माह से लगा तबादलों से प्रतिबंध हट सकता है। खबर है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादला नीति का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसका विभागीय मंत्री से अऩुमोदन भी हो गया, जिसे जल्द मोहन कैबिनेट में लाकर मंजूरी दी जा सकती है। चर्चा तो ये भी है कि एक हफ्ते के अंदर मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने के बाद जिला स्तर पर तबादले की प्रक्रिया 15 अगस्त के बाद शुरू की ज सकती है।
अगस्त में हटेगा तबादलों से प्रतिबंध
खबर है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने नई तबादला नीति का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसका विभागीय मंत्री से अनुमोदन भी हो गया है और अब सिर्फ कैबिनेट बैठक में लाकर मंजूरी दी जानी है। संभावना है कि 15 अगस्त के बाद कभी भी इस पर फैसला हो सकता है। तबादलों से बैन हटने के बाद एक निश्चित अवधि में थोकबंद प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले किए जाएंगे लेकिन किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे। चर्चा तो ये भी है कि कई जिलों के कलेक्टर और एसपी कमिश्नर को इधर से उधर किया जा सकता है।नई तबादला नीति में गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जा सकती है।
मंत्रियों को जिलों का प्रभार जल्द, CM ने दिए संकेत
- पिछली सरकार में 15 से 30 जून 2023 तक ट्रांसफर पॉलिसी लागू की गई थी और जिलों के अंदर प्रभारी मंत्रियों और जिलों के बाहर मंत्रियों की अनुमति के अनुसार तबादले किए गए थे लेकिन अभी तक मंत्रियों को प्रभार नहीं दिए गए हैं, ऐसे में अटकलें हैं कि एक हफ्ते के अंदर मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिया जा सकता है।
- चुंकी सीएम डॉ. मोहन यादव ने ऐलान किया है कि 15 अगस्त को प्रभारी मंत्री ही जिलों में झंडा फहराएंगे। माना जा रहा है कि जिलों में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से ही ट्रांसफर होंगे, सीनियर मंत्रियों को दो-दो जिलों के प्रभार सौंपे जा सकते हैं।एक जिले से दूसरे जिले के अंदर तबादले के लिए प्रभारी मंत्री की अनुशंसा जरूरी होगी।
- संभावना है कि मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने के बाद तबादलों का दौर 15 अगस्त के बाद से शुरू हो सकता है। चुंकी पिछली ट्रांसफर पॉलिसी में विभागों के प्रमुख के ट्रांसफर सीएम की अनुमति जरूरी थी। वही प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी के अधिकारी और कर्मचारियों के ट्रांसफर सीएम के अनुमोदन के बाद विभाग जारी करता था, ऐसे में इस बार भी मुख्यमंत्री के हिसाब से प्रशासनिक जमावट होने की अटकलें है।
चुनाव के चलते लग गया था तबादलों पर प्रतिबंध
गौरतलब है कि राज्य सरकार आमतौर पर प्रतिवर्ष मई-जून में तबादलों से बैन हटाती है। इसमें अधिकतम 20% तबादले करने का अधिकार विभागीय मंत्रियों को दिया जाता है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के लिए कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तबादलों पर बैन लग गया था। इसके चलते राज्य सरकार चुनाव कार्य में संलग्न 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर, कलेक्टर, कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक समेत कई संवर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले चुनाव आयोग की अनुमति के बाद नहीं कर सकती थी हालांकि इस अवधि में केवल उन्हीं अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले हुए जो प्रशासकीय दृष्टि से बहुत जरूरी थे, ऐसे में अब तबादलों से बैन हटने के बाद कलेक्टर, एसपी और मुख्यालयों में बैठे अधिकारियों के तबादले हो सकेंगे।