Warli House In MP: भारत एक ऐसी जगह है जहां घूमने फिरने के लिए एक से बढ़कर एक स्थान मौजूद हैं और यहां के सभी पर्यटक स्थलों पर सैलानियों का आना जाना लगा रहता है। मध्यप्रदेश में हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है और यह अपने ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के चलते दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
मध्य प्रदेश की संस्कृति देश के साथ विदेशियों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। पुरातन परंपरा, रहन-सहन, इतिहास और खानपान को आज भी मध्यप्रदेश अपने अंदर समेटे हुए है। यहां एक से बढ़कर एक स्थान घूमने फिरने के लिए मौजूद हैं, लेकिन आज हम आपको जिस चीज के बारे में बता रहे हैं, वो जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
मध्यप्रदेश के भोपाल में बने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के बारे में तो आप लोगों ने सुना ही होगा। ये जगह बहुत पसंद है और जो भी पर्यटक भोपाल पहुंचते हैं यहां घूमने फिरने के लिए जरूर जाते हैं। यहां पर देखने के लिए कई सारी चीजें मौजूद हैं लेकिन एक इन दिनों एक ऐसी चीज यहां पर मौजिद है, जिसने इन दिनों सभी का ध्यान अपनी और खींच लिया है। यहां पर कुछ इको फ्रेंडली हजार तैयार किए गए हैं, जिन्हें वारली हाउस के नाम से पहचाना जाता है। चलिए आपको इनकी खासियत के बारे में बताते हैं।
ऐसे होते हैं Warli House
इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय में जो वारली घर बनाए गए हैं, वो बहुत ही खास है। ठंड के समय में यहां गर्मी का एहसास होता है और गर्मियों में माहौल ठंडक भरा होता है। एक तरह से ये सर्दी और गर्मी दोनों के लिए मुफीद है।
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इन घरों को मिट्टी, गोबर, लकड़ी और बांस से बनाया जाता है। इन घरों को कोई और नहीं बना पाता बल्कि इसे वारली जनजाति के लोग ही बना सकते हैं। यह महाराष्ट्र की एक ट्राईबल कम्युनिटी है, जिसे भोपाल के इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय में बुलाकर इन विशेष घरों का निर्माण करवाया गया है। यह इको फ्रेंडली हाउस देखने में बहुत सुंदर होते हैं और जब आप इनके अंदर जाएंगे तो आपको अनोखा एहसास होने वाला है।
महाराष्ट्र में रहती है ट्राइबल कम्युनिटी
ट्राइबल कम्युनिटी के जिन लोगों ने इन घरों का निर्माण किया है वो महाराष्ट्र के पालघर, जवाहर, ठाणे, मोखड़ा तालुका, तलसारी और नासिक जिले में रहते हैं। इस समाज के कुछ लोग गुजरात के वलसाड़ में भी रहते हैं, आमतौर पर ये जनजाति खेती कर के अपनी जीविका चलाते हैं।
10 दिनों में तैयार हुए घर
ट्राइबल कम्युनिटी के जो कलाकार घर बनाने के लिए भोपाल पहुंचे थे, उन्होंने सिर्फ 10 दिनों में इन सुंदर घरों को बनाकर तैयार किया है। लगभग 6 पुरुषों और महिलाओं ने मिट्टी, बल्ली, पत्थर, भूसे जैसी चीजों से पारंपरिक तरीके से तैयार किया है। उपयोग की गई सामग्री ये कलाकार अपने साथ महाराष्ट्र से ही लेकर आए थे।
चित्रकाली के लिए है प्रसिद्ध
महाराष्ट्र की वारली जनजाति अपनी चित्रकला के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ये लोग अपनी कला के जरिए ही जीवन शैली, संस्कृति, जीवन शैली, कटाई, खेती की गतिविधि और उत्सव को लोगों तक पहुंचाने का काम करते हैं।
चित्र बनाने के लिए ये लोग भीगे हुए चावलों से तैयार किया गए गाढ़े घोल से बने सफेद रंग का इस्तेमाल करते हैं। ये गेरू से रंगी हुई दीवारों पर ही अपने चित्र बनाते हैं और जनजाति की कहानियां लोगों तक पहुंचाते हैं।
गर्मियों का सीजन चल रहा है और ऐसे में अगर आप घूमने फिरने का प्लान बना रहे हैं और एमपी टूरिज्म करना चाहते हैं, तो भोपाल में बने हुए शानदार घरों को देखना बिल्कुल भी ना भूलें। आपको यहां जाकर भीषण गर्मी में भी ठंडक का एहसास होगा। साथ ही इन पर की गई अद्भुत चित्रकारी आपका दिल जीत लेगी।