Water Crisis: बढ़ती जनसंख्या के साथ बढ़ रहा इंदौर में जल संकट, एक स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पढ़ें खबर

Water Crisis: इंदौर शहर तेजी से विकास की और बढ़ रहा हैं। ऐसे में लोगों की जरूरतें भी बढ़ रही हैं। वहीं इंदौर में बढ़ती जनसंख्या के साथ ही जल संकट भी बढ़ने लगा हैं।

Rishabh Namdev
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Water Crisis: इंदौर शहर में तेजी से विकास हो रहा है। 1990 में शहर के बिल्टअप एरिया 25 प्रतिशत था, जो अब 2020 में 52 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इसके बावजूद, कृषि भूमि का शेयर 59 प्रतिशत से 36 प्रतिशत तक घट गया है। पानी की उपलब्धता की दृष्टि से यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि शहर की 83 फीसदी आबादी केवल नर्मदा नदी पर निर्भर है। इस विकास के साथ-साथ, जल संरचनाएं भी केवल 0.92 प्रतिशत के स्तर पर ही हैं, जो पानी की बर्बादी को बता रहा है।

देश के 99 प्रमुख शहरों में एक स्टडी:

गहराते जल संकट के विषय में यही चिंता देश के 99 प्रमुख शहरों में एक स्टडी द्वारा जताई गई है, जिसमें इंदौर 19वें नंबर पर है। इस स्टडी के अनुसार, अगर वाटर रिचार्जिंग पर सही समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो अगले 4-5 सालों में स्थिति और भी खराब हो सकती है। वर्तमान में भी 20 फीसदी आबादी टैंकर के भरोसे पानी पर निर्भर है।

ग्राम छापरिया के पास 1200 एमएम के पाइप में लीकेज को सुधारने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे 14 अप्रैल को कई क्षेत्रों में पानी की टंकियां खाली रह सकती हैं, जैसे कि अन्नपूर्णा, राज मोहल्ला, द्रविड़ नगर, अगरबत्ती कॉम्प्लेक्स, टिगरिया बादशाह, गांधी हॉल, सुभाष चौक, सदर बाजार, और लोकमान्य नगर।

प्रदेश में इंदौर की स्थिति चिंताजनक:

इंदौर के जल संकट का मामला अत्यधिक चिंताजनक है, जैसा कि एक नई स्टडी जनरल ऑफ हाइड्रोलॉजी द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी में, रेनफॉल, मिट्टी की आर्द्रता, और अन्य कई पैरामीटर्स का विश्लेषण किया गया है। अनुसार, जलसंकट के मामले में बेंगलुरू पहले स्थान पर है, जहां इस साल की मॉनसून सीजन ने इसे बहुत अधिक प्रभावित किया है। बेंगलुरू के बाद, चेन्नई और सूरत भी जलसंकट की भावना में हैं, जिन्हें सूखे की स्थिति के साथ निपटना पड़ सकता है। मध्य प्रदेश में, इंदौर शहर के बाद भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, सतना, और उज्जैन में सबसे अधिक विकट स्थिति है।

भूजल स्तर की महत्वपूर्णता को उजागर करते हुए, इंदौर का पानी संकट नर्मदा, बिलावली तालाब, और यशवंत सागर पर निर्भर है। इन स्रोतों के पानी के प्रवाह का संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां भविष्य में पानी की उपलब्धता में कठिनाई आ सकती है। इस समय इंदौर में जलसंकट की दिक्कतें बढ़ रही हैं, जैसा कि पिछले वर्षों में गर्मियों में केवल तीन महीने भूजल स्तर कम होता था, लेकिन अब यह समस्या चार महीनों तक बनी हुई है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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