World Sparrow Day : हमारी नन्हीं चिड़िया जो खोती जा रही है, विश्व गौरैया दिवस पर लें इसे बचाने का संकल्प

दुनियाभर में गौरैया की करीब 26 प्रजातियां पाई जाती हैं जो लगभग हर महाद्वीप पर मौजूद है। सबसे आम प्रजाति "हाउस स्पैरो" (House Sparrow) है, जो इंसानों के आसपास रहना पसंद करती है। गौरैया का वजन सिर्फ 25-30 ग्राम होता है लेकिन ये एक दिन में अपने वजन के बराबर भोजन खा सकती है। इस चिड़िया को अकेले रहना पसंद नहीं..ये झुंड में रहती है और अपने समूह के साथ चहचहाती हुई नजर आती है। इनकी चहचहाहट एक-दूसरे से बात करने का तरीका है। गौरैया अपने घोंसले बनाने में बहुत कुशल होती है और 24-34 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है। आज के दिन सीएम डॉ. मोहन यादव ने शुभकामनाएं देते हुए इसे बचाने के प्रयास करने का आह्वान किया है।

Shruty Kushwaha
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World Sparrow Day : क्या आपको वो प्यारी सी चिड़िया याद है..जो कभी हमारे घर का हिस्सा हुआ करती थी। इतनी अपनी कि जब चाहे मुंडेर पर आ बैठे, पेड़ पर फुदकने लगे या छत पर डेरा बना ले। और हम भी उसके लिए दाना-पानी रखते थे। गौरैया..इतनी अपनी थी कि कभी लगा ही नहीं, उसे उड़ाकर भगा दिया जाए। लेकिन कब ये चिड़िया हमारे दृश्य से गायब होने लगी..पता नहीं चला। स्थिति ये हो गई है कि उसके संरक्षण के लिए ‘विश्व गोरैया दिवस’ मनाया जाने लगा। आज उसी प्यारी छोटी सी चिड़िया को समर्पित दिन है।

हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जा रहा है। ये दिन गौरैया के महत्व को समझने और इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। आज के दिन सीएम डॉ. मोहन यादव ने शुभकामनाएं देते हुए एक्स पर लिखा है कि ‘विश्व गौरैया दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। घर-आंगन चहकाने वाली गौरैया का संरक्षण हम सभी का दायित्व है। घर में गौरैया के लिए घोंसला, दाना-पानी की उपलब्धता पुण्य कार्य है। पर्यावरण असंतुलन और आधुनिक तकनीक के दौर में मासूम जीवों का अस्तित्व संकट में न आए, आइए इसके लिए प्रयास का संकल्प लें।’

विश्व गौरैया दिवस का महत्व

गौरैया..जो कभी हमारे घर-आंगन का अभिन्न हिस्सा थी, आज तेजी से घटती संख्या के कारण खतरे में है। ‘विश्व गौरैया दिवस’ का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संतुलन में गौरैया की भूमिका के बारे में बताना और इसे बचाने के लिए प्रेरित करना है।गौरैया इकोसिस्टम की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह कीट नियंत्रण में मदद करती है और बीज फैलाकर प्रकृति को हरा-भरा रखने में अहम योगदान देती है। लेकिन शहरीकरण, प्रदूषण, कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग और घोंसलों की कमी ने इनकी आबादी को बहुत कम कर दिया है। विश्व गौरैया दिवस हमें याद दिलाता है कि अगर हमने इस छोटी चिड़िया को नहीं बचाया तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ सकता है।

विश्व गौरैया दिवस का इतिहास

विश्व गौरैया दिवस की शुरुआत 2010 में हुई थी। इसकी नींव भारत के एक पर्यावरणविद् मोहम्मद दिलावर ने रखी जिन्हें “स्पैरो मैन ऑफ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने नेचर फॉरएवर सोसाइटी (Nature Forever Society) की स्थापना की जिसने गौरैया के संरक्षण के लिए काम शुरू किया। पहली बार 20 मार्च 2010 को ये दिन मनाया गया और इसके बाद यह वैश्विक स्तर पर फैल गया। इस पहल को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे यूरोपियन बर्डवॉचिंग सोसाइटी और अन्य पर्यावरण समूहों का समर्थन मिला। तब से हर साल 20 मार्च को दुनिया भर में लोग गौरैया के लिए जागरूकता कार्यक्रम, घोंसला निर्माण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी गतिविधियां आयोजित करते हैं।

आइए मिलकर गौरैया को बचाएं

आज का दिन हमें उस छोटी सी चहकती हुई गौरैया की याद दिलाता है, जो कभी हमारे घर-आंगन की शान हुआ करती थी। विश्व गौरैया दिवस हमें जागरूक करता है कि हमारी नन्हीं दोस्त को हमारी मदद की जरूरत है। आज का दिन ये संकल्प लेने का दिन है कि इसे सिर्फ औपचारिकता में न बदल दें बल्कि एक संकल्प लें कि हम गौरैया के लिए कुछ करेंगे। हमारे घरों में उसके लिए दाना-पानी रखेंगे। वो आए तो उसका स्वागत करेंगे और उसे महसूस कराएंगे कि यहां उसका भी एक हिस्सा है। उसकी चहचहाहट से हमारा घर भी खिल जाएगा। और हमारा छोटा सा प्रयास न सिर्फ गौरैया को बचाएगा, बल्कि पर्यावरण को भी हरा-भरा और खुशहाल रखेगा।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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