जानी मानी कम्पनी के बिस्किट में निकली इल्ली, शिकायत पर सैंपल के लिए मौके पर पहुंची खाद्य विभाग टीम

Gaurav Sharma
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बैतूल, वाजिद खान। मध्यप्रदेश के  बैतूल में एक जानी मानी कंपनी के बिस्किट पैकेट में इल्लियां निकलने का  सनसनीखेज मामला सामने आया है। बिस्किट में इल्लियां निकलने की शिकायत खाद्य विभाग को मिलते ही विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर  उक्त इल्लीयुक्त बिस्किट के सैंपल को जांच के लिए राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला भोपाल भेजा है।

विभाग को शिकायत मिली थी कि शहर के कोठी बाजार क्षेत्र की एक किराना दुकान से बेचे गए बिस्किट के अंदर इल्लियां निकली  हैं। जिसके बाद विभाग ने तत्परता दिखाते हुए  एक सैंपल उक्त किराना दुकान से तथा एक सैंपल एजेंसी से लेकर परीक्षण के लिए भोपाल भेज दिया है। इसके साथ ही खाद्य विभाग ने एजेंसी को निर्देश दिये है कि इस बैच के बिस्किट उन्होंने जहां  जहां  बेचे हैं उन्हें तीन दिवस के अंदर वापिस बुलाया जाए एवं इसका विक्रय  तत्काल प्रभाव से रोका जाए।

 

नमूने की परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह का जिले में पहला मामला है जो कि बहुत ही शोध का विषय है कि इतनी बड़ी कंपनी के बिस्किट पैकेट में इल्लियां कैसे पढ़ गई । रिपोर्ट आने में बद ही कुछ कहा जा सकता है ।

जानी मानी कम्पनी के बिस्किट में निकली इल्ली, शिकायत पर सैंपल के लिए मौके पर पहुंची खाद्य विभाग टीम जानी मानी कम्पनी के बिस्किट में निकली इल्ली, शिकायत पर सैंपल के लिए मौके पर पहुंची खाद्य विभाग टीम

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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