Khelo India Games & Yashodhara Raje Scindia: 13 दिन तक चलने वाले खेलो इंडिया यूथ गेम्स का समापन शनिवार को हो गया। इन खेलों की बड़ी उपलब्धि मध्य प्रदेश का तीसरे स्थान पर काबिज रहना रहा। प्रदेश की इस शानदार सफलता के पीछे एक महिला की दिन और रात की अथक मेहनत छुपी है जिसने लूप लाइन में पड़े मध्य प्रदेश को खेलों के क्षेत्र में मेन लाइन ट्रैक पर लाकर खड़ा कर दिया।
यशोधरा की ज़िद
पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे खराब, 2010 के पहले मध्यप्रदेश में कुछ ऐसी ही मानसिकता खेलों को लेकर थी। लेकिन उसके बाद हर तरफ मध्यप्रदेश का जलवा बिखरना शुरू हुआ। दरअसल विभाग की कमान एक ऐसी मंत्री के हाथ में आई जिसने युवाओं की मानसिकता में खेलोगे कूदोगे बनोगे नवाब की भावना को भर दिया। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश की खेल एवं युवक कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की। यशोधरा की जिद और जुनून देखिए, जिस मंत्रालय को लेने में मंत्री कतराते थे और जिसे मलाईदार विभागों की श्रेणी में माना ही नहीं जाता था अंधेरे कोने में पड़े उस विभाग को यशोधरा ने उठाया और खरे सोने सा चमका दिया। दरअसल मंत्री बनने के बाद यशोधरा ने सबसे पहला काम किया मध्यप्रदेश में खेलों की सुविधाओं के विस्तार का। उन्होंने प्रदेश में 16 अकादमी खोली जिनमें घुड़सवारी और शूटिंग के साथ-साथ मार्शल आर्ट ,बॉक्सिंग, जूडो, कुश्ती, तलवारबाजी जैसी अकादमी प्रमुख थी। भोपाल के जिस छोटे तालाब के किनारे गंदगी के चलते कोई जाता नहीं था उसी छोटे तालाब में वाटर स्पोर्ट्स इवेंट की स्थापना करके यशोधरा ने कबाड़ से सोना बना दिया। खेल सुविधाओं के विस्तार के लिए यशोधरा लगातार प्रयास करती रही और आज कभी तीन करोड़ के बजट वाले मध्यप्रदेश के खेल विभाग का बजट लगभग 400 करोड़ पर है। युवाओं में खेलों को लेकर अक्सर एक डर यह रहता था कि भी खेलेंगे तो उनका भविष्य सुरक्षित होगा? यशोधरा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने पर सरकारी नौकरी सुनिश्चित करने का काम भी किया। उन्होंने खेलों को रोजगार से जोड़ दिया।