पुणे के शनिवार वाड़ा में नमाज विवाद; मुख्यमंत्री फडणवीस ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी

शिवसेना नेता शाइना एनसी ने इस मामले में संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम विवाद का रूप देने की बजाय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियमों के आधार पर देखा जाना चाहिए। शाइना ने सुझाव दिया कि धार्मिक स्थलों और स्मारकों पर पूजा या अन्य गतिविधियों के लिए स्पष्ट नियम होने चाहिए।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा परिसर में नमाज अदा करने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में तीन अज्ञात महिलाओं के खिलाफ प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष (एएमएएसआर) नियम, 1959 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। फडणवीस ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि बिना अनुमति के कोई भी गतिविधि स्वीकार्य नहीं होगी।

शनिवार को शनिवार वाड़ा परिसर में नमाज अदा करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर तनाव पैदा कर दिया, जिसके बाद भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी और कुछ संगठनों के सदस्यों ने परिसर में पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक अधिकारी ने इस घटना की शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुणे सिटी पुलिस ने शनिवार दोपहर 1:45 बजे हुई इस घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज की।

एएसआई नियमों का उल्लंघन

पुणे सिटी पुलिस के अनुसार, शनिवार वाड़ा एक संरक्षित स्मारक है, और इस पर नमाज अदा करना एएमएएसआर नियम, 1959 का उल्लंघन माना गया। यह नियम संरक्षित स्मारकों पर अनधिकृत गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है। एएसआई ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद पुलिस ने तीन अज्ञात महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया। यह घटना ऐतिहासिक स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों को लेकर नियमों के पालन पर बहस को और तेज कर सकती है।

शाइना एनसी का बयान, धार्मिक विवाद से बचने की अपील

शिवसेना नेता शाइना एनसी ने इस मामले में संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम विवाद का रूप देने की बजाय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियमों के आधार पर देखा जाना चाहिए। शाइना ने सुझाव दिया कि धार्मिक स्थलों और स्मारकों पर पूजा या अन्य गतिविधियों के लिए स्पष्ट नियम होने चाहिए। उन्होंने कहा, “जैसे कोई हाजी अली दरगाह में हनुमान चालीसा नहीं पढ़ता, वैसे ही सभी को एक-दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करना चाहिए।” यह मामला ऐतिहासिक स्थलों पर नियमों के पालन और सामाजिक सौहार्द के बीच संतुलन की जरूरत को रेखांकित करता है।


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