महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मंगलवार (26 अगस्त) को कांग्रेस के पूर्व विधायक संग्राम थोपटे की राजगढ़ सहकारी चीनी मिल को 409 करोड़ रुपये का लोन देने की मंजूरी दी। यह ‘मार्जिन मनी लोन’ राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) द्वारा दिया जाता है, जिसमें राज्य सरकार गारंटी देती है। बताया गया कि इस प्रस्ताव को कैबिनेट से हरी झंडी मिल गई है। हालांकि इस पर राजनीतिक हलचल भी शुरू हो गई है, क्योंकि इस फैसले का विरोध उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने किया।
अजित पवार ने जताई आपत्ति
सूत्रों के अनुसार अजित पवार ने बैठक में कहा कि भोर तहसील की यह फैक्ट्री पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के समय से सरकारी मदद लेती रही है, लेकिन इसके बावजूद यह कभी व्यावहारिक रूप से टिकाऊ नहीं हो सकी। इसलिए इतना बड़ा लोन देना तर्कसंगत नहीं है। दूसरी ओर, संग्राम थोपटे ने अप्रैल 2024 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। इससे पहले उनका परिवार दशकों तक कांग्रेस में सक्रिय रहा और पुणे जिले की राजनीति में पवार परिवार का सीधा प्रतिद्वंदी माना जाता रहा है।
भोर विधानसभा सीट, जहां से संग्राम थोपटे चुनाव लड़ते हैं, बारामती लोकसभा क्षेत्र में आती है। यही वह क्षेत्र है जहां पवार परिवार और थोपटे परिवार की सियासी प्रतिद्वंद्विता रही है। संग्राम के पिता अनंतराव थोपटे और शरद पवार लंबे समय तक एक-दूसरे के खिलाफ खड़े रहे। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में जब अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ उतरीं, तब शरद पवार ने थोपटे परिवार से रिश्ते सुधारने का प्रयास किया।
भोर सीट पर थोपटे परिवार का दशकों से दबदबा रहा है। अनंतराव थोपटे 1980 से 1999 तक लगातार छह बार विधायक बने। केवल 1999 में शरद पवार की पार्टी को जीत मिली थी, लेकिन 2004 में अनंतराव ने वापसी की। इसके बाद 2009 से 2019 तक संग्राम थोपटे ने लगातार जीत दर्ज की। 2024 के विधानसभा चुनाव में हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा, जब एनसीपी (अजित गुट) के शंकर हिरामण मांडेकर ने उन्हें हराकर सीट अपने नाम कर ली। अब चीनी मिल को मिले इस लोन ने एक बार फिर थोपटे और पवार परिवार की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को सुर्खियों में ला दिया है।





