जबकि मंदिरों में चढ़ावे के जरिये मिलने वाली राशि का मंदिर के विकास सहित अन्य धार्मिक कार्यो में उपयोग होता है। लेकिन सरकारी खजाने(Government treasury) को भरने के लिए कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने एक तरह से जजिया कर लगाकर धार्मिक अखंडता (Religious integrity) को खंड खंड करने का प्रयास किया था।
वही धर्मांतरण के मामले में मंत्री उषा ठाकुर ने कमलनाथ (Kamalnath) पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने ही आदिवासियों (Tribals) से कहा था कि वो खुद को हिन्दू (Hindu) लिखना छोड़ दे, जबकि वो अनादि काल से हिन्दू है। ऐसे में ये कहने का क्या तुक है। उन्होंने सीधे कहा कि कमलनाथ देश की एकता अखंडता को क्षिन्न भिन्न करना चाहते है। इतना ही नहीं मंत्री उषा ठाकुर ने एक बड़ी बात भी इंदौर में कही। उन्होंने कहा कि वफ्फ बोर्ड आर्थिक रूप से मजबूत है।
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बावजूद कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने प्रदेश में इमाम और मौलवियों को 5 हजार तक वेतन दिया, जो कि अन्य वर्गों के अधिकारों के छिना जाने जैसा है। वहीं कांग्रेस (Congress) पर हमला बोलते मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सीएए का विरोध करती रही जबकि केंद्र सरकार ये कानून उन लोगो के लिए लाई जो कि पाकिस्तान में सताए जा रहे थे।
इधर, पूर्व सीएम कमलनाथ धार्मिकता को लेकर उषा ठाकुर ने कहा कि वो दिखावा है और उन्हें ये बात समझ में आ गई है। कमलनाथ बीजेपी की तर्ज पर धार्मिक दिखाई देना चाहते है, लेकिन वो कुछ भी करे जनता सब समझ चुकी है और 3 नवंबर को जनता उनको आइना भी दिखा देगी।
इतना ही नहीं मंत्री इमरती देवी (Imarti devi) पर दिए गए आयटम (Item) वाले बयान पर मंत्री उषा ठाकुर (Minister Usha Thakur) ने कहा कि किसी भी महिला के लिए अपमानित शब्दों (Humiliated words) का प्रयोग अनुचित है और वे इसकी कड़ी भर्त्सना करती है। वही सांवेर के विकास को लेकर उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विकास भावना के साथ सांवेर में विकास कार्य हुए है और वो सब बीजेपी शासन में हुए हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि कोविड के चलते सांवेर के विकास कामो में गति धीमी हुई है।