जिले की तीनों सीट पर भाजपा जीत की दावें कर रही है, तो वहीं पहली बार कांग्रेस रिकार्ड तोड़ 82 प्रतिशत हुए मतदान के बाद से गदगद है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की इज्जत दांव पर लगी है। माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे।
नीमच। श्याम जाटव।
भाजपा ने 2013 में जिले की नीमच, मनासा व जावद में जीत का परचम लहराया था। इस बार समीकरण बदल सकते हैं। जिस प्रकार से मतदान का प्रतिशत बढ़ा है उससे भाजपा की नींद उड़ गई। कांग्रेस इस वोट प्रतिशत को अपने पक्ष में बता रही हैं। हालांकि इसका निर्णय तो 11 दिसंबर को ईवीएम खुलने के बाद ही हो सकेगा।
अंतिम विस पर सबकी नजर
मप्र की अंतिम विधानसभा 230 पर पूरे प्रदेश की नजर है। यहां से कांग्रेस के राजकुमार अहीर और इंदौर के कारोबारी निर्दलीय समंदर पटेल के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। राजनीति के जानकार भाजपा के ओमप्रकाश सखलेचा को तीसरे नंबर पर बता रहे है। सखलेचा के बारे में लोगों का कहना है कि 15 साल से विधायक रहते हुए क्षेत्र के आम कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की है और अपने साथ केवल दलाल किस्म के लोगों का साथ रखा है। इस वजह से आक्रोश है। हालांकि तीनों प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के प्रति आशवस्त हैं। यहां पर 83.45 प्रतिशत मतदान हुआ है जबकि 2013 में 79.85 प्रतिशत ही हुआ था।
परिहार की राह आसान नहीं
नीमच विधानसभा से दो बार के विधायक दिलीपसिंह परिहार की राह में कांटे ही कांटे है। इस बार उनकी जीत पर संशय बरकरार है। क्षेत्र के कई गांव में परिहार के खिलाफ लोगों में नाराजगी देखी गई और प्रचार के दौरान उनके सामने लोगों ने नारेबाजी भी की। यहां गिरे वोट प्रतिशत 79.10 को देखते हुए परिहार के लिए कांग्रेस के सत्यनारायण पाटीदार से पार पाना कठिन है। कई पोलिंग बूथ पर भाजपा के एजेंट सुस्त दिखे। इससे लगता है कार्यकर्ताओं ने ज्यादा से ज्यादा वोटिंग कराने में रूचि नहीं दिखाई।
मनासा में एंटी इन्कबेंसी
भाजपा ने विधायक कैलाश चावला का टिकट काट कर पार्टी के खिलाफ बगावत करने वाले माधव मारू को दिया। इससे समर्पित कार्यकर्ताओं में गलत संदेश गया और इसी का परिणाम ये रहा कि मारू के पक्ष में लोगों प्रचार से दूरी बनाए रखी। वहीं कांग्रेस के उमरावसिंह गुर्जर ने गुर्जर-गायरी व बंजारा समाज के दम पर ताल ठोकी और उन्हें अच्छा समर्थन भी मिला। माना जा रहा है कि यहां से चुनाव परिणाम बहुत ही चौकाने वाले होंगे। यहा पर 84.11 प्रतिशत मतदान हुआ। इससे कांग्रेस में खुशी की लहर जरूर है। लेकिन भाजपा भी अपने को किसी भी मायने में कमजोर नहीं आंक रहीं।
भाजपा के खिलाफ आक्रोश के कारण
– मंदसौर गोलीकांड में 6 किसानों की पुलिस फायरिंग में मौत।
– जैन आयोग की रिपोर्ट में प्रशासन को क्लीन चीट दी गई। इससे किसान गंभीर रूप से नाराज।
– किसान का कर्जमाफी वाले मामले में भाजपा ने अपने चुनावी एजेंडे में घोषणा नहीं की।
– भावांतर योजना में किसान को कम और व्यापारी को ज्यादा फायदा होने पर आक्रोश व्याप्त है।
– किसान को मंडी में अपनी उपज का दाम लागत से दो गुना नहीं मिलने पर असंतुष्ट हैं।
– महंगाई पर केंद्र-राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं। पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर के दाम आसमान छू रहे है। इससे लोगों में सरकार के प्रति असंतोष।
– जिले में तीनों सीट पर जातिय समीकरण के आधार पर टिकट बंटवारे में विफल रही और एक भी ओबीसी वर्ग के व्यक्ति को टिकट नहीं दिया।