Sat, Dec 27, 2025

“भले ही दोषी न ठहराए जाएं…” सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी की सजा दर पर तंज कसा

Written by:Mini Pandey
Published:
कोर्ट ने मई में जेएसडब्ल्यू की बीपीएसएल के लिए प्रस्तावित योजना को "अवैध" करार दिया था। हालांकि, जुलाई में दोनों पक्षों और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे सार्वजनिक ऋणदाताओं द्वारा दायर याचिकाओं के बाद उस फैसले को वापस ले लिया गया
“भले ही दोषी न ठहराए जाएं…” सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी की सजा दर पर तंज कसा

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की इस साल के पहले छह महीनों में दर्ज 5,892 मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में मात्र 0.1 प्रतिशत की सजा दर पर एक बार फिर चिंता जताई है। कोर्ट ने ईडी की उस प्रवृत्ति पर भी तीखी टिप्पणी की, जिसमें संदिग्धों को लंबे समय तक हिरासत में रखा जाता है, जबकि मामले को मजबूत करने की कोशिश की जाती है। विपक्ष द्वारा इस प्रथा की आलोचना के बीच कोर्ट ने कहा,और यदि वे दोषी नहीं भी ठहराए जाते, तो आप उन्हें बिना मुकदमे के वर्षों तक सजा देने में सफल रहे हैं। यह तीखी फटकार मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेएसडब्ल्यू स्टील द्वारा भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) के अधिग्रहण से संबंधित मई के एक फैसले की समीक्षा के दौरान दी।

कोर्ट ने मई में जेएसडब्ल्यू की बीपीएसएल के लिए प्रस्तावित योजना को “अवैध” करार दिया था। हालांकि, जुलाई में दोनों पक्षों और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे सार्वजनिक ऋणदाताओं द्वारा दायर याचिकाओं के बाद उस फैसले को वापस ले लिया गया, क्योंकि कोर्ट ने कहा कि कुछ तथ्यों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। लेकिन, ईडी की प्रभावशीलता पर की गई तीखी टिप्पणियों ने सबका ध्यान खींचा। जब एक वकील ने बीपीएसएल की जांच में ईडी की भूमिका का जिक्र किया, तो मुख्य न्यायाधीश ने तंज कसते हुए कहा, यहां भी ईडी है? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडी का बचाव करते हुए कहा कि यूट्यूब पर एजेंसी के खिलाफ “नैरेटिव बनाया जा रहा है” और दावा किया कि ईडी ने 23,000 करोड़ रुपये की लॉन्ड्रिंग राशि बरामद की है।

नैरेटिव के आधार पर मामले तय नहीं

मुख्य न्यायाधीश ने हालांकि सॉलिसिटर जनरल को याद दिलाया कि कोर्ट “नैरेटिव के आधार पर मामले तय नहीं करता”। उन्होंने कहा, “मैं न्यूज चैनल नहीं देखता… मैं सुबह 10-15 मिनट तक केवल अखबारों की सुर्खियां देखता हूं।” कोर्ट ने सजा दर पर सवाल उठाते हुए पूछा, “सजा दर क्या है?” मेहता ने स्वीकार किया कि सजा दर “बेहद कम” है, लेकिन इसके लिए आपराधिक न्याय प्रणाली की खामियों को जिम्मेदार ठहराया। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया, “भले ही संदिग्ध दोषी न ठहराए जाएं, आप उन्हें बिना मुकदमे के वर्षों तक सजा देने में सफल रहे हैं।” यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न पीठों द्वारा ईडी की “उच्चस्तरीय कार्रवाइयों” की आलोचना के बाद आई है, खासकर विपक्षी नेताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में।

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को मामलों के प्रबंधन के लिए लगाई फटकार

मार्च में सरकार ने संसद में बताया था कि ईडी की राजनेताओं के खिलाफ मामलों में दस साल की सजा दर केवल 1 प्रतिशत है। पिछले साल कई बार सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को मामलों के प्रबंधन के लिए फटकार लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि वह “लोगों को जेल में रखने के लिए चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकती”। यह टिप्पणी तब आई थी जब ईडी ने 18 महीने तक जेल में रखे गए एक आरोपी को जमानत से वंचित करने के लिए पूरक चार्जशीट दाखिल की थी। आप नेताओं अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तारी और महीनों तक हिरासत के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के मामले में भी यह मुद्दा राजनीतिक विवाद का कारण बना। विपक्ष ने बार-बार सरकार पर ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, खासकर चुनावों से पहले।