15 अगस्त का इंतजार देशवासी बेसब्री से करते हैं। इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और करोड़ों देशवासियों को संबोधित करते हैं। आज 15 अगस्त 2025 को देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराकर देशवासियों को संबोधित किया। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर तिरंगा लाल किले पर ही क्यों फहराया जाता है।
यह सवाल न सिर्फ देशवासियों के मन में उठता है, बल्कि यह जानना बेहद जरूरी भी है। कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर इंटरव्यू में भी यह सवाल पूछा जाता है। बता दें कि 1947 में पहली बार तिरंगा लाल किले पर फहराया गया था। ऐसे में यह इतिहास गर्व और राष्ट्रीय पहचान से जुड़ी कहानी है।
लाल किले का इतिहास क्या है?
बता दें कि लाल किला मुगल बादशाह शाहजहां ने 1638 में बनवाया था। ऐसा भी माना जाता है कि इसका निर्माण 8 से 10 साल में हुआ था। यह वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण माना जाता है और दिल्ली का ऐतिहासिक किला भी है। 1947 में 15 अगस्त के दिन जब भारत आजाद हुआ था, तब भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार लाल किले से ही तिरंगा फहराया था। इस ऐतिहासिक क्षण का देशवासियों को बेसब्री से इंतजार था। इस दौरान भारत ने सदियों की गुलामी को तोड़कर स्वतंत्रता का उत्सव मनाया था।
लाल किले से ही क्यों फहराया जाता है तिरंगा
अब सवाल उठता है कि आखिर लाल किले से ही क्यों तिरंगा फहराया जाता है? दरअसल, लाल किले का अपना एक इतिहास रहा है। लाल किला स्वतंत्र भारत का प्रतीक बन चुका है। यही कारण है कि यहीं से तिरंगा फहराया जाता है। आजादी की पहली घोषणा भी इसी किले से की गई थी और हर साल प्रधानमंत्री यहीं से देशवासियों को संबोधित करते हैं। इतना ही नहीं, लाल किला दिल्ली के केंद्र में स्थित है और सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी इसे अच्छा माना जाता है। ऐसे में लाल किले से तिरंगा फहराने का इतिहास आजादी से जुड़ा हुआ है। पहली बार यहीं से तिरंगा फहराया गया था, इसलिए देशवासियों के लिए भावनात्मक रूप से भी लाल किला जुड़ा हुआ है।





