2006 में मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट के धमाकों के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने सभी को निर्दोष माना। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह से नाकाम रहा। हाई कोर्ट ने पांच महीने पहले इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की स्पेशल बेंच ने सोमवार को मुंबई की एक निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और मुंबई लोकल ट्रेन धमाके के आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया, हाई कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा है। सबूतों को देखकर ये मानना मुश्किल है कि इन आरोपियों ने अपराध किया। इसलिए उनकी सजा रद्द की जाती है।
जेल से तत्काल रिहा करने का आदेश
ट्रेन ब्लास्ट मामले में निचली अदलत ने पांच आरोपियों को फांसी की सजा और 7 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया, स्पेशल बेंच ने कहा कि अगर आरोपियों को किसी और मामले में नहीं चाहिए तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा कर दिया जाए।
11 जुलाई 2006 को मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए थे ब्लास्ट
याद दिला दें 19 साल पहले 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में 7 बम धमाके हुए थे। धमाकों में 189 लोगों ने जान गंवाई थी। घटना के बाद महाराष्ट्र ATS ने 13 लोगों को गिरफ्तार कर उनपर केस चलाया था। 8 साल चले केस के बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को मामले में दोषी ठहराया और 5 आरोपियों को फांसी की सजा और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कार्रवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी। बाकी बचे 11 दोषियों ने सजा के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें आज 21 जुलाई 2025 को फैसला हुआ और उन्हें बरी कर दिया गया।
हाई कोर्ट का फैसला पीड़ित परिवारों के लिए निराशा
19 साल बाद सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार दिए जाने के मुंबई हाई कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर जाँच एजेंसियों की कार्य शैली और सबूतों की विश्वसनीयता पर बहस को जन्म दे दिया है, जिन परिवारों ने 189 लोगों को खोया उनके लिए ये एक बड़ा झटका है और उनकी पीड़ा को बढ़ाने वाला है, उधर चर्चा है कि सरकार अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है उसके पास इसका विकल्प खुला हुआ है ।





