रायपुर, डेस्क रिपोर्ट। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 28 फीसदी (7 Pay Commission) कर राज्यों की मुश्किलें बढ़ा दी है। अब हर राज्य में सरकारी कर्मचारियों द्वारा केंद्र के समान महंगाई भत्ते की मांग उठाई जा रही है। मध्य प्रदेश की तरह अब छत्तीसगढ़ के कर्मचारी (Government Employee) भी आंदोलन की राह पर चल पड़े है और मांगे पूरी ना होने पर चेतावनी दे रहे है।
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छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन (Chhattisgarh Employees-Officers Federation) ने अब भूपेश सरकार (Chhattisgarh Government) को अल्टीमेटम दिया है कि अगर 30 अगस्त तक महंगाई भत्ता नहीं बढ़ाया जाता है कि वे 3 सितंबर को कलम बंद मशाल उठा आंदोलन करेंगे।इस संबंध में मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है।
फेडरेशन की मांग है कि यदि राज्य सरकार ने मंहगाई भत्ते (dearness allowance) के मुद्दे समेत 14 सुत्रीय मांगों पर 30 अगस्त तक निर्णय नहीं लिया गया तो प्रदेश के कर्मचारी अधिकारी आगामी 3 सितंबर को पूरे प्रांत के कर्मचारी अधिकारी सामूहिक अवकाश लेकर जिलों में कलम बंद आंदोलन करेगें। इसके बाद भी राज्य सरकार समय रहते कोई निर्णय कर्मचारीहित में नहीं लेती है तो अनिश्चितकालिन आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
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केन्द्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़कर 17 से 28 प्रतिशत हो गया है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के शासकीय सेवकों और पेंशनरों को 1 जनवरी 2019 से मात्र 12 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है, राज्य के कर्मचारी केन्द्रीय कर्मचारियों से 16 प्रतिशत पीछे हो गए है, इस कारण प्रतिमाह के वेतन में 4-5 हजार रुपए आर्थिक क्षति हो रही है, ऐसे में जल्द से जल्द महंगाई भत्ते की घोषणा की जाए।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष और अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के प्रवक्ता विजय झा का कहना है कि केंद्र ने 28 फीसदी DA बढ़ा दिया है, लेकिन अब तक राज्य के शासकीय सेवकों के लंबित मांगों से संबंधी 14 सूत्रीय मांगों को पूरा तक नहीं किया गया है। प्रदेश स्तरीय बैठक के बाद निर्णय लिया गया है कि 3 सितंबर को प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालय बंद रखा जाएगा। अपनी मांगों को लेकर मशाल उठाकर हड़ताल किया जाएगा।