राज्य के लाखों कर्मचारियों-पेंशनरों को तोहफा, 4% बढ़ा महंगाई भत्ता, कैबिनेट ने दी मंजूरी, मिलेगा 3 महीने का भी एरियर, सैलरी में आएगा उछाल

Pooja Khodani
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Government Employees DA Hike 2023 : झारखंड के सरकारी कर्मचारियों-पेंशनरों के लिए खुशखबरी है। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने लाखों कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों-पेशनरों का महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ा दिया है, जिसके बाद राज्य के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 38 फीसदी से बढ़कर 42 फीसदी हो गया है। नई दरें 1 जनवरी से लागू होंगी। मई में अप्रैल महीने की सैलरी के साथ बढ़े हुए डीए का भुगतान किया जाएगा।

कर्मचारियों को मिलेगा 42 फीसदी डीए का लाभ

दरअसल, गुरूवार को सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों के 4 फीसदी महंगाई भत्ते वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।कैबिनेट समन्वय सचिव वंदना डडेल ने बैठक के बाद बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में डीए की दर में बढ़ोतरी का फैसला किया है, वृद्धि के कारण सरकारी खजाने पर प्रति वर्ष 441.52 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। कर्मचारियों को मंहगाई भत्ते की अतिरिक्त किश्त एक जनवरी 2023 से प्रभावी होगा। राजस्थान,हरियाणा, असम और बिहार सरकार के बाद झारखंड के कर्मचारियों का भी महंगाई भत्ता 42% हो गया है।

1 जनवरी 2023 से नई दरें लागू

कैबिनेट बैठक में एक जनवरी 2016 से प्रभावी संशोधित वेतनमान (सातवां केंद्रीय वेतनमान) में एक जनवरी 2023 से महंगाई भत्ते की दरों में वृद्धि को मंजूरी दे दी गई है। राज्य के कर्मचारी जिनका वेतनमान या वेतन संरचना (सातवां वेतनमान संशोधन) 18 जनवरी 2017 को एक जनवरी 2016 से संशोधित की गई है, उन्हें एक जनवरी 2023 से 42 प्रतिशत महंगाई भत्ते का लाभ मिलने लगेगा। यह वृद्धि स्वीकृत फॉर्मूले के अनुसार है, जो 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित है।

मानदेय में भी वृद्धि

इसका लाभ 19,3000 लाख कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को होगा। वही कैबिनेट ने तकनीकी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य संबद्ध कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों की स्वीकृत शक्ति के विरुद्ध अतिथि संकाय, अस्थायी और वर्ग-आधारित संकायों के कर्मचारियों के मानदेय में भी वृद्धि की है। राज्य सरकार ने पारिश्रमिक को बढ़ाकर 57,500 रुपये प्रति माह कर दिया गया, जो पहले 30,000 रुपये प्रति माह की सीमा थी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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