कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज, 49000 तक बढ़ सकती है बेसिक सैलरी, कैबिनेट बैठक आज

Pooja Khodani
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7th pay commisson

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। केंद्रीय कर्मचारियों (7th Pay Commission Central Government employees) के लिए बड़ी खबर है। आज कर्मचारियों के फिटमेंट फैक्टर पर फैसला हो सकता है। ताजा मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,  न्यूनतम बेसिक सैलरी बढ़ाने की मांग को लेकर आज बुधवार को कर्मचारी यूनियन की केन्द्र की मोदी सरकार से बातचीत हो सकती है। इसके लिए एक समिति बनाकर ड्राफ्ट तैयार किया जा सकता है। इसके बाद इस संबंध में अगस्त से पहले एक बैठक हो सकती है, जिसमें फिटमेंट फैक्टर बढ़ाने पर मुहर लगाई जा सकती है।

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ताजा मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, आज पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक होना है, जिसमें फिटमेंट फैक्टर पर चर्चा हो सकती है। वर्तमान में कर्मचारियों को  2.57 फिटमेंट फैक्टर मिल रहा है और कर्मचारियों इसे 3.68 फीसदी तक बढ़ाने की मांग कर रहे है।संभावना है कि अगस्त से पहले केंद्रीय कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्‍टर बढाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो 52 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और बेसिक सैलरी मे 18000 से बढ़कर 26000 हो जाएगी।
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी केंद्रीय कर्मचारी की बेसिक सैलरी 18,000 रुपए है, तो भत्तों को छोड़कर उसकी सैलरी 18,000 X 2.57= 46,260 रुपए का लाभ होगा।3.68 होने पर सैलरी 95,680 रुपये (26000 X 3.68 = 95,680) हो जाएगी यानि सैलरी में 49,420 रुपए लाभ मिलेगा।अगर इसे बढ़ाकर 3 किया जाता है तो बेसिक सैलरी 21000 रुपए होगी। इसी आधार पर न्यूनतम बेसिक सैलरी 18000 रुपये है और अधिकतम बेसिक सैलरी 56900 रुपये है, फिटमेंट फेक्टर पर सहमति बनती है तो सैलरी के हिसाब से कर्मचारियों का पैसा बढ जाएगा।

 

बता दे कि कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी में फिटमेंट फैक्टर का अहम रोल होता है। इस फैक्टर के कारण ही केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में ढाई गुना से अधिक की बढ़ोतरी होती है। 7वें वेतन आयोग में जो Pay matrix बने है वे Fitment factor पर बेस्‍ड हैं। आखरी बार 2016 में फिटमेंट फैक्टर बढ़ाया गया था और न्यूनतम बेसिक सैलरी 6,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये की गई थी।अब फिटमेंट फैक्टर बढ़ता है तो बेसिक सैलरी 26000 हो जाएगी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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