राज्य के कर्मचारियों-पेंशनरों के लिए बड़ी खबर, जल्द बढ़ेगा 3% महंगाई भत्ता! सैलरी में आएगा बंपर उछाल

Pooja Khodani
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लखनऊ, डेस्क रिपोर्ट।7th Pay Commission केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा महंगाई भत्ते और महंगाई राहत 34% किए जाने के बाद अब राज्यों में भी इस बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। केन्द्रीय कर्मचारियों और राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों पेंशनरों के डीए/डीआर 3 प्रतिशत बढ़ोतरी के बाद अब खबर आ रही है जल्द उत्तर प्रदेश के 28 लाख कर्मचारियों-पेंशनरों (UP Employees Pensioners) को भी जल्द बड़ी सौगात दी जा सकती है।जल्द इन कर्मचारियों का भी महंगाई भत्ता 3 प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा उछाल देखने को मिलेगा।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूपी विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ राज्य के  करीब 16 लाख कर्मचारियों और 12 लाख पेंशनरों को जल्द बड़ा तोहफा दे सकती है।केन्द्र के ऐलान के बाद  योगी सरकार भी कर्मचारियों पेंशनरों के महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकती है, जिसके बाद यूपी के कर्मचारियों का भी डीए/डीआर केन्द्र के समान 34 प्रतिशत हो जाएगा।सुत्रों की मानें तो इसको लेकर वित्त विभाग ने तैयारियां भी शुरू कर दी है, बस सीएम के ऐलान का इंतजार है।

संभावना जताई जा रही है कि जल्द योगी सरकार इसका ऐलान कर सकती है और कर्मचारियों को अप्रैल के वेतन के साथ मई में बढ़ा हुए डीए व डीआर दिया जा सकता है, इससे कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा उछाल देखने को मिलेगा।चुंकी  केंद्र के आदेश के बाद ही यूपी में भी  डीए व डीआर बढ़ाया जाता है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, राज्य में 3 फीसदी वृद्धि होने पर कर्मचारियों और पेंशनरों का डीए व डीआर 34 फीसदी हो जाएगा। वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों को 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, योगी सरकार द्वारा कर्मचारियों के डीए और डीआर में तीन फीसदी वृद्धि करने पर राज्य सरकार पर सालाना करीब 1000 करोड़ रुपये अतिरिक्त भार आएगा। वही इसका लाभ 1 जनवरी 2022 से दिया जा सकता है। चुंकी जुलाई 2021 में तीन फीसदी डीए वृद्धि का लाभ देने का फैसला बीते नवंबर में किया था, जो दिसंबर के वेतन के साथ कर्मचारियों को मिला। एरियर का भुगतान पीएफ और अन्य बचत पत्रों के माध्यम से किया गया था।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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