कर्मचारियों को फिर मिलेगा एक और तोहफा! DA के बाद बढ़ेगा एक और भत्ता, सैलरी में आएगा बंपर उछाल

Pooja Khodani
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। केंद्रीय कर्मचारियों (Central government employees) के लिए अच्छी खबर है। केन्द्र सरकार दिवाली से पहले एक और खुशखबरी दे सकती है। 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ने के बाद से एक और भत्ता बढ़ाया जा सकता है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केन्द्र सरकार 7वें वेतन आयोग (7th pay commission) के तहत सैलरी पाने वाले सरकारी कर्मचारियों का मकान भाड़ा भत्ता यानि हाउस रेंट अलाउएंस (HRA) बढ़ा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो कर्मचारियों की सैलरी में एक बार बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

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दरअसल, हाल ही में केन्द्र की मोदी सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 34% से बढ़ाकर 38% कर दिया है,ऐसे में हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance) के बढ़ने की भी संभावना बढ़ गई है।इसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि संभव है, अनुमान है कि एचआरए में भी जल्द संशोधन किया जा सकता है, इससे पहले एचआरए को पिछले साल जुलाई में बढ़ाया गया था।

कर्मचारी का एचआरए उस शहर की श्रेणी से निर्धारित होता है। जहां वे काम करते हैं। हाउस रेंट अलाउंस में 3 कैटेगरी होती है। इसमें 50 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर ‘X’ कैटेगरी में आते हैं।जिनकी जनसंख्या 5 लाख से अधिक है, वे ‘Y’ श्रेणी में आते हैं।5 लाख से कम आबादी वाले शहर ‘Z’ कैटेगरी में आते हैं। तीनों कैटेगरी के लिए मिनिमम HRA 5400, 3600 और 1800 रुपये होगा।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्तमान में केन्द्रीय कर्मचारियों को HRA 27%, 18% और 9% की दर से मिल रहा है। X कैटेगरी के शहरों में रहने या काम करने वाले कर्मचारियों के एचआरए में 4 से 5 फीसदी, Y श्रेणी के शहरों के लिए एचआरए में 2 फीसदी और Z कैटेगरी के शहरों के लिए 1 फीसदी की बढ़ोतरी संभव है।इन्हें अभी 9-10 फीसदी की दर से एचआरए दिया जाता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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