खास बात ये है कि 4 नवंबर को राज्य के मुख्य सचिव एच.के. द्विवेदी और वित्त सचिव मनोज पंत को कलकत्ता हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है, इसमें बताना है कि राज्य सरकार को 19 अगस्त तक डीए बकाया राशि का भुगतान करने के अपने फैसले का सम्मान नहीं करने के खिलाफ अदालत की अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।कन्फेडरेशन आफ स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज का कहना है कि अगर राज्य सरकार चाहे तो वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने के लिए तैयार हैं।
सुत्रों की मानें तो राज्य सरकार कोर्ट के मामलों से बचते हुए अब बकाया भुगतान की घोषणा कर सकती है या फिर राज्य सरकार डीए बकाया के भुगतान पर कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दे सकती है।हालांकि अभी तक कानूनी विभाग की ओर से सुप्रीम कोर्ट जाने के बारे में कोई अधिकारिक बयान या पुष्टि नही की गई है, ऐसे में कर्मचारियों को चार नवंबर से पहले कुछ एरियर के ऐलान की उम्मीद है।
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दरअसल, बीते महीनों कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने डीए भुगतान फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया था। जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस रबींद्रनाथ सामंत ने 20 मई के आदेश पर फिर से विचार करने की राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी।वही हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को 3 महीनों के भीतर महंगाई भत्ते की बकाया रकम का भुगतान करने का आदेश दिया है।हालांकि, राज्य सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका के साथ उसी पीठ में एक समीक्षा याचिका दायर की, लेकिन खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और 22 मई को इस मामले में अपने पहले के आदेश को बरकरार रखा था।
क्या है मामला
गौरतलब है कि राज्य प्रशासनिक अधिकरण (SAT) के एक आदेश को बरकरार रखते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने मई में पश्चिम बंगाल सरकार को तीन महीने के भीतर जुलाई 2009 से बकाया महंगाई भत्ते का भुगतान करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने SAT के जुलाई 2019 के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की थी। एसएटी ने इस आदेश में राज्य सरकार को केंद्र के निर्देशों के अनुरूप DA देने और तीन किश्तों में बकाया रकम का भुगतान करने को कहा था। इस मामले में मूल याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में अदालत की अवमानना याचिका दायर की है। कोर्ट की अवमानना याचिका पर अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्राधिकारियों ने मई 2022 से तीन महीनों के भीतर DA का भुगतान नहीं किया है।