हाई कोर्ट का अहम फैसला, 3 महीने के अंदर होगा डीए एरियर का भुगतान, राज्य सरकार को दिए ये निर्देश

Pooja Khodani
Published on -
minimum wage

कोलकाता, डेस्क रिपोर्ट। पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने डीए भुगतान फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया है। जस्‍ट‍िस हरीश टंडन और जस्‍ट‍िस रबींद्रनाथ सामंत ने 20 मई के आदेश पर फ‍िर से व‍िचार करने की राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को 3 महीनों के भीतर महंगाई भत्ते की बकाया रकम का भुगतान करने का आदेश दिया है।

MP Teacher Recruitment :18527 शिक्षकों के पदों पर होगी भर्ती, जल्द शुरू होगी प्रक्रिया, ये रहेंगे नियम, जानें अपडेट्स

दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर कर्मचारियों को लंबित महंगाई भत्ता (डीए) बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।हालांकि, राज्य सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका के साथ उसी पीठ में एक समीक्षा याचिका दायर की, लेकिन खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और 22 मई को इस मामले में अपने पहले के आदेश को बरकरार रखा था।

लाखों कर्मचारियों-पेंशनरों के लिए अपडेट, पुरानी पेंशन योजना का ऐसे मिलेगा लाभ, चुन सकेंगे विकल्प, ये रहेंगे नियम

बता दे कि बीते दिनों राज्य प्रशासनिक अधिकरण (एसएटी) के एक आदेश को बरकरार रखते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने मई में पश्चिम बंगाल सरकार को तीन महीने के भीतर जुलाई 2009 से बकाया महंगाई भत्ते का भुगतान करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने SAT के जुलाई 2019 के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की थी। एसएटी ने इस आदेश में राज्य सरकार को केंद्र के निर्देशों के अनुरूप महंगाई भत्ता देने और तीन किश्तों में बकाया रकम का भुगतान करने को कहा था।

अगली सुनवाई 9 नवबंर को

इस मामले में मूल याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में अदालत की अवमानना याचिका दायर की है। कोर्ट की अवमानना याचिका पर अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्राधिकारियों ने मई 2022 से तीन महीनों के भीतर महंगाई भत्ते का भुगतान नहीं किया है।


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News