भारत का अनोखा जिला, जहां बच्चे भी जानते हैं 7 भाषाएं ! कहलाती है “सात भाषाओं की भूमि”

कुछ पूर्व में स्थित है, तो कुछ पश्चिम में... कुछ उत्तर में स्थित है, तो कुछ दक्षिण में... लेकिन आज हम आपको उस जिला से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसे सात भाषाओं की भूमि कही जाती है।

भारत अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक विरासतों के लिए जाना जाता है। यहां आपको एक से बढ़कर एक स्मारक देखने को मिलेंगे, जहां विश्व भर के पर्यटक पहुंचते हैं। यहां का खानपान, रहन-सहन, पहनावा-उढ़ावा और स्थानीय रीति-रिवाज इन्हें बाकी स्थानों से बहुत ही अलग बनाता है। पूरे देश की बात करें, तो यह कई राज्य, जिले, शहर और गांव से मिलकर बना है। इन सभी की अलग-अलग खासियत है, जहां विभिन्न ट्रेडीशन्स को फॉलो किया जाता है। इन स्थान पर लोगों को रोजगार भी मिलता है। इसके अलावा, आमदनी से अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।

पिछले कई सारे आर्टिकल में हम आपको भारत के बहुत सारे जिलों से रूबरू करवा चुके हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग खासियत है। इनमें से कुछ पूर्व में स्थित है, तो कुछ पश्चिम में… कुछ उत्तर में स्थित है, तो कुछ दक्षिण में… लेकिन आज हम आपको उस जिला से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसे सात भाषाओं की भूमि कही जाती है।

सात भाषाओं की भूमि

जैसा कि हम पहले भी इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि हर जिले गांव और शहर की अलग-अलग खासियत है, ठीक उसी प्रकार सात भाषाओं की भूमि कहे जाने वाले इस जिले की भी अलग ही पहचान है। यह भारत का इकलौता ऐसा जिला है, जहां एक नहीं दो नहीं तीन नहीं, बल्कि पूरे 7 भाषाओं में बातचीत की जाती है। यहां अमूमन छोटा बच्चा से लेकर बड़ा व्यक्ति इन सातों भाषाओं में बात कर लेता है। वहीं, बाहर से आने वाले लोगों से यह लोग इंग्लिश में भी बात कर लेते हैं, ताकि सामने वाले को समझ में आ सके।

कासरगोड जिला (Kasaragod District)

दरअसल, इस जिले का नाम कासरगोड है जो कि केरल राज्य में स्थित है। भारत के दक्षिणी छोर में स्थित इस जिले की खूबसूरती जन्नत से कम नहीं है। बता दें कि यहां केवल 14 जिले हैं, जिनमें से कासरगोड जिले को 7 भाषा की भूमि कहा जाता है, क्योंकि यहां पर सात भाषाओं में लोग बात करते हैं, जो इसे अन्य सभी जिलों से अलग बनाता है। अक्सर किसी भी जगह पर अधिकतम 2 से 3 भाषा में ही बातचीत की जाती है, ऐसे में 7 भाषा यहां की पहचान को बदल देता है।

ये है 7 भाषाएं

उन सात भाषाओं में मलयालम, कन्नड़, तुलू, कोंकणी, बेरी, मराठी और उर्दू भाषा शामिल है। राज्य में स्थित इस जिले के इतिहास की बात करें, तो साल 1984 में इसका गठन किया गया था। जिसे कन्नूर जिले के कुछ हिस्से को अलग करके बनाया गया। यह केरल का सबसे उत्तरी जिला है, जिसकी सीमा पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पश्चिमी घाट से लगती है। यदि कभी आपको मौका मिले, तो आप भी इस जिले में घूमने का प्लान बनाएं, जहां आपको स्थानीय कल्चर को सामने से देखने का मौका मिलेगा।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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