भारत की असल पहचान गांव से होती है, जहां लोग कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन इत्यादि पर निर्भर होते हैं। गांव में कुछ परिवार रहते हैं, जो कि एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहते हैं। यहां देश की परंपरा, संस्कृति, रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। महिलाएं एक-दूसरे से मिलजुल कर काम में हाथ बंटाती हैं, बच्चे मिट्टी से जुड़े होते हैं, अर्थात वे खेत-खलिहान में खेल कर बड़े होते हैं।
इन दिनों भारत में शहरों की बजाय विलेज टूरिज्म की ओर पर्यटक ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं, यहां लोगों को कल्चर बहुत ही नजदीक से देखने और जानने का मौका मिलता है।
दिखती है अलग रौनक
पहले गांव में अलग ही रौनक देखने को मिलती थी। हालांकि, अब समय के साथ बहुत कुछ परिवर्तित हो चुका है, लेकिन अब भी लोग सदियों पुरानी चली आ रही रीति-रिवाज को नहीं भूले हैं। देश के हर एक राज्य में अलग-अलग गांव मौजूद हैं, जो अपने राज्य की संस्कृति को दर्शाते हैं। यहां का खान-पान बहुत ही अलग होता है, लोगों की जीवनशैली शहरों की अपेक्षा बहुत ही ज्यादा अलग और स्वास्थ्यपूर्ण होती है।
टिकट पड़ेगा खरीदना
आज हम आपको एक ऐसे ही गांव के बारे में रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसे घूमने के लिए आपको टिकट खरीदना पड़ेगा। जी हां, यह सुनने में थोड़ा सा अजीब है, लेकिन यह अपने आप में बहुत ही अनोखा गांव है। यहां की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, लोगों का व्यवहार सब कुछ इसे बाकी गांवों से काफी अलग बनाता है। अक्सर इस तरह के प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, तो वहीं सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी इस गांव का नाम जानना जरूरी है।
भारत में हैं इतने गांव
सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि भारत में साल 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 6,40,930 गांव हैं, उनमें से एक उत्तर प्रदेश भी शामिल है, जहां सबसे अधिक गांव बसे हुए हैं। 2011 की जनगणना पर गौर फरमाया जाए, तो यूपी में अकेले कुल 75 नगर पंचायत, 17 नगर निगम, 58,000 से अधिक ग्राम पंचायत, 28 विकास प्राधिकरण और 5 विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण मौजूद हैं। अब हम आपको यह बताएंगे कि वह गांव कौन सा है, जहां आपको जाने के लिए टिकट खरीदना पड़ेगा।
खुरपी नेचर विलेज (Khurpi Nature Village)
दरअसल, इस गांव का नाम खुरपी नेचर विलेज है, जो कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आपको 20 रुपये का टिकट खरीदना पड़ेगा। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां हर दिन करीब 100 से 150 गरीबों को मुफ्त में खाना खिलाया जाता है। इसके अलावा, युवाओं के लिए फ्री जिम और पुस्तकालय की सुविधा भी रखी गई है, जो इसे बाकी सभी गांवों से अलग बनाता है। इस गांव में पहुंचते ही आपको पुराने जमाने के गांव याद आ जाएंगे, जिसे बिल्कुल बहुत ही पुराने गांव की तरह ही डिजाइन किया गया है, ताकि यहां आने वाले लोग भारतीय पारंपरिक गांव की झलक देख पाएं। उन्हें यह पता चले कि पहले के जमाने में लोग किस प्रकार गांव में अपना जीवनयापन करते थे।
आप भी जरूर जाएं
हालांकि, समय के साथ बहुत कुछ बदलाव भी हुआ है, लेकिन इस गांव में जाकर आपको ऐसा कुछ भी महसूस नहीं होगा, बल्कि आप बहुत ही अच्छा अनुभव प्राप्त करेंगे। मीडिया सूत्रों के अनुसार, इस गांव के लोग मुख्य रूप से मुर्गी और मत्स्य पालन पर निर्भर हैं। इसके अलावा, गांव में एक चिड़ियाघर भी है, जिसे देखने के लिए दूर-दराज से पर्यटक आते हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। यहां आपको स्थानीय फूड का आनंद उठाने का भी मौका मिलेगा। यदि आप भी इस गांव को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो आपको यहां अवश्य जाना चाहिए। आप यहां बस या फिर निजी वाहन से जा सकते हैं।




