आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने लोकसभा में भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली भाजपा की केंद्र सरकार तीन ऐसे विधेयक पेश कर रही है, जो विपक्षी नेतृत्व को निशाना बनाकर उनकी सरकारों को गिराने में मदद करेंगे। भारद्वाज ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह षड्यंत्र आज से नहीं, बल्कि कई सालों से पृष्ठभूमि में चलता आ रहा है। जब भी ऐसी नीतियां बनती हैं, अरविंद केजरीवाल पहले व्यक्ति होते हैं, जो उसे भांप लेते हैं।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा यह सुनिश्चित करने के लिए दिया कि भाजपा की साजिश सफल न हो सके। भारद्वाज ने यह भी जोर देते हुए कहा कि यह साज़िश सिर्फ एक विधेयक तक सीमित नहीं है। भाजपा झूठे मुकदमे बनाएगी, विपक्षी नेताओं को ब्लैकमेल करेगी, और यदि वे अध्यक्षता या पद पर टिकने से इनकार करते हैं, तो जेल भेजकर उनकी सरकार गिरा देगी। यह योजना आक्रामक और कमजोर विपक्ष से निपटने वाली है, और केजरीवाल ने पहले ही इसका अंदेशा जताया था।
AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने भी इस बहस को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को बिना सबूत, बिना जांच और अदालत में कॉकस प्रेसेंटेशन के जेल में रखा गया और अदालतों ने हर मामले में क्लोजर रिपोर्ट दर्ज की। उन्होंने ईडी-सीबीआई की कार्रवाई को ‘पिंजरे में बंद तोता’ कहा और सवाल उठाया कि क्या विरोधी मुख्यमंत्री को सिर्फ 30 दिनों तक जेल में डालकर, फिर कानून के सहारे उनकी सरकार गिरा दी जाएगी? और सरकारी कार्यवाही अदालत तक खत्म हो जाएगी? यह लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ होता है कि AAP की भावनाएं सत्ताधारी दल की कार्रवाइयों से जुड़ी हुई हैं। उनका मानना है कि केंद्र सरकार सत्ता के बल पर विपक्ष को दबाना चाहती है। ऐसे में सौरभ भारद्वाज का यह बयान न केवल पार्टी की रक्षा की कार्रवाइयों की व्याख्या करता है, बल्कि लोकतंत्र के गंभीर प्रश्न भी उठाता है—क्या विपक्ष को शांतिपूर्ण तरीके से कार्य करने की स्वतंत्रता है, या फिर उसे कानून के नाम पर दमन करना ही राह है?





