Bribe News : PHED के 2 अधिकारी 2 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार, बिल पास कराने के एवज में मांगे थे पैसे

Pooja Khodani
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Rajasthan Bribe News : राजस्थान में रिश्वत और भ्रष्टाचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है । भ्रष्टाचारनिरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। एसीबी ने रविवार देर रात अलवर और नीमराना के पीएचईडी अफसरों को जयपुर में 2.20 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। यह रिश्वत बिल पास करने के एवज में ली जा रही थी। एसीबी ने इसके साथ ही ठेकेदार और दो दलालों को भी दबोचा है। मामला जल जीवन मिशन से जुड़ा है।

खास बात तो ये है कि रविवार को ही ईडी से जल जीवन मिशन से जुड़े ठेकेदारों के ठिकानों पर छापेमारी की थी, वही देर रात एसीबी ने दोनों अधिकारियों को जयपुर के होटल पोलो विक्ट्री के पास से रिश्वत लेते धर दबोचा। गिरफ्तार दोनों इंजीनियर अलवर जिले में कार्यरत है, इसमें एक्सईएन मायालाल सैनी बहरोड़ व जेईएन प्रदीप नीमराना में कार्यरत है।  दोनों अधिकारी रिश्वत लेने के लिए जयपुर आए थे। कुछ अन्य लोगों की भी भूमिका सामने आई है, जिसे लेकर जांच की जा रही है।

ठेकेदारा और कंपनी सुपरवाइजर भी धराया

एसीबी ने इन्हें रिश्वत देने वाले ठेकेदार पदमचंद जैन और उसकी कंपनी के सुपरवाइजर मलकेत सिंह और एक अन्य व्यक्ति को भी पकड़ा  गया है।  कार्रवाई के दौरान दोनों आरोपियों की गाड़ी से 2.90 लाख रुपए मिले। इसके बाद आरोपियों के झुंझुनूं, बहरोड़ स्थित घर, ऑफिस व अन्य ठिकानों पर देर रात तक सर्च की गई। वही मायाराम सैनी और प्रदीप के जयपुर और अन्य ठिकानों पर एसीबी की टीमें सर्च कर रही है। एसीबी के अंदेशा है कि इन अधिकारियों के घर से अवैध संपत्ति की जानकारी मिल सकती है।

ऐसे हुआ रिश्वत के खेल का पर्दाफाश

इस खेल का खुलासा तब हुआ जब ACB की तकनीकी शाखा को सूचना मिली कि अलवर पीएचईडी में कार्यरत कुछ अधिकारी बिल पास करने के बदले रिश्वत लेने वाले हैं। इस पर डीआईजी रणधीर सिंह के सुपरविजन में एडिशनल एसपी हिमांशु कुलदीप व डिप्टी एसपी सुरेश स्वामी के नेतृत्व में विशेष टीमों ने रेकी की और इनके मोबाइल को सर्विलांस पर रखा हुआ था। इसके बाद जैसे ही जानकारी मिली कि डील सिंधी कैंप के पास एक होटल में होने वाली है तो एसीबी की टीम ने पहले से जाल बिछा दिया। जैसे ही दोनों सरकारी अधिकारियों ने पैसे लिए वैसे ही ट्रैप हुए। ACB की पड़ताल में सामने आया कि विभाग के दोनों अधिकारी होटल में बैठकर बिल बनाते थे। पिछले 1 साल से इसी तरह काम किया जा रहा था।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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