12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही क्रैश हुई AI-171 फ्लाइट के पीछे क्या विंग फ्लैप्स की खराबी जिम्मेदार हो सकती है? एक रिपोर्ट में इस पहलू की जांच की जा रही है। टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद मेडे कॉल, फ्लाइट की तेजी से ऊंचाई खोना और फ्लैप्स की पोजीशन इस दिशा में इशारा करती है, लेकिन अंतिम कारणों की पुष्टि जांच पूरी होने पर ही होगी।
AI-171 एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर थी जो अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई थी। टेकऑफ के करीब 30 सेकंड बाद यह विमान क्रैश हो गया, जिसमें 242 में से 241 लोगों की जान चली गई। एक रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि टेकऑफ के दौरान फ्लैप्स की स्थिति असामान्य हो सकती है, जिससे विमान को पर्याप्त लिफ्ट नहीं मिली। रिपोर्ट में कहा गया है कि रडार डेटा और वीडियो फुटेज इस दिशा में संकेत देते हैं, लेकिन पायलट्स की मेडे कॉल और अन्य पहलुओं को भी जांच में शामिल किया जा रहा है।
विंग फ्लैप्स क्या होते हैं और क्यों हैं जरूरी?
विंग फ्लैप्स विमान के पीछे की ओर लगे ऐसे कंट्रोल सरफेस होते हैं जो टेकऑफ और लैंडिंग के समय लिफ्ट और ड्रैग को नियंत्रित करते हैं। जब विमान उड़ान भरता है, तो फ्लैप्स को लोअर किया जाता है ताकि विंग की सतह बढ़े और विमान कम गति पर भी हवा में उठ सके। लैंडिंग के समय फ्लैप्स ड्रैग बढ़ाकर विमान की रफ्तार घटाने में मदद करते हैं। अगर फ्लैप्स समय पर न खुलें या गलत पोजीशन में हों, तो टेकऑफ के दौरान विमान को उठने में दिक्कत आ सकती है। यही कारण है कि AI-171 की जांच में फ्लैप्स की स्थिति को गंभीरता से देखा जा रहा है।
AI-171 हादसे में क्या हो सकता है फ्लैप्स से जुड़ा संकेत?
रिपोर्ट में बताया गया है कि टेकऑफ के तुरंत बाद विमान 425 फीट की ऊंचाई तक गया और फिर तेजी से नीचे गिरा। वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि विमान रनवे के अंतिम छोर के पास धूल उड़ाता हुआ नजर आता है। यह संकेत देता है कि या तो फ्लैप्स सही से लोअर नहीं हुए, या फिर पायलट्स द्वारा किसी और इमरजेंसी से ध्यान बंट गया। इस दौरान पायलट्स ने मेडे कॉल दी थी, जो किसी तकनीकी दिक्कत या इमरजेंसी की तरफ इशारा करता है। हालांकि रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि यह सब अब तक जांच के विषय हैं, कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला गया है।
हादसे की जांच और ब्लैक बॉक्स से क्या उम्मीदें?
AI-171 की जांच में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) को बरामद कर लिया गया है। इनसे मिलने वाली जानकारी यह तय करेगी कि हादसे से पहले के पलों में क्या हुआ। क्या फ्लैप्स सही से सक्रिय हुए थे? क्या पायलट्स ने ऑटोमेशन सेटिंग्स में कुछ बदलाव किया था? या क्या इंजन फेल्योर या बर्ड हिट जैसी कोई और वजह सामने आएगी? रिपोर्ट बताती है कि अंतिम निष्कर्ष तब तक नहीं निकाला जा सकता जब तक पूरी टेक्निकल और एनालिटिकल जांच पूरी न हो जाए।





