अहमदाबाद प्लेन क्रैश की घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद मेघानी नगर के एक आवासीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई। यह भारत की सबसे भीषण विमान दुर्घटनाओं में से एक है, जिसने विमानन सुरक्षा और उड़ान से पहले की जांच प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
विमान ने टेकऑफ के तुरंत बाद मेडे कॉल (आपातकालीन संदेश) जारी किया, लेकिन इसके बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से संपर्क टूट गया। इस हादसे के बाद जो सबसे पहला सवाल उठा वो ये कि आखिर इसकी वजह क्या थी। दोनों पायलट अनुभवी थे और मौसम भी साफ था। शुरुआत में ये सवाल भी सामने आए कि क्या विमान में कोई तकनीकी समस्या आ गई थी। लेकिन किसी भी विमान के उड़ान भरने से पहले उसकी पूरी जाँच होती है। अब इस दुर्घटना के पीछे के असली कारण तो इन्वेस्टिगेशन के बाद ही सामने आएंगे लेकिन आज हम समझेंगे कि किसी भी यात्री विमान के उड़ान भरने से पहले की जांच प्रक्रिया क्या होती है।

उड़ान से पहले होती है पूरी जाँच
यात्री विमानों की सुरक्षा और यात्रियों के आरामदायक सफर को सुनिश्चित करने के लिए उड़ान से पहले कई स्तरों पर तकनीकी जांच होती है, साथ ही केबिन की सफाई भी की जाती है। ये प्रोसेस अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) और भारत की डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) जैसे नियामक संगठनों के कड़े मानकों के अनुसार होती हैं। आइए समझते हैं कि उड़ान से पहले विमान की क्या-क्या जांच होती है और किन तकनीकी बातों का ध्यान रखा जाता है।
बाहरी जाँच (वॉक-अराउंड इंस्पेक्शन)
हर यात्री विमान को उड़ान से पहले बाहर से अच्छी तरह जाँचा जाता है, जिसे वॉक-अराउंड इंस्पेक्शन कहते हैं। पायलट या को-पायलट विमान के चारों तरफ घूमकर देखते हैं कि उसका शरीर यानी फ्यूज़लाज सही है या नहीं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि कहीं कोई दरार, डेंट या जंग तो नहीं। विमान के पंख, फ्लैप्स और एलिरॉन्स जो उड़ान को नियंत्रित करते हैं, उनकी स्थिति और कामकाज की जाँच होती है। इंजन को देखा जाता है कि उसके ब्लेड्स, हवा के रास्ते और निकास में कोई रुकावट या खराबी तो नहीं। लैंडिंग गियर, यानी विमान के पहिए, उनके टायरों का दबाव, ब्रेक और हाइड्रॉलिक सिस्टम की जाँच की जाती है। हवा की गति नापने वाले पिटोट ट्यूब और नेविगेशन लाइट्स के काम करने की पुष्टि होती है।
ग्राउंड क्रू स्कैनर से विमान को जाँचते हैं और रनवे पर कोई कचरा, पत्थर या दूसरी चीजें (जिन्हें FOD कहते हैं) नहीं होने देते, जो विमान को नुकसान पहुँचा सकते हैं। यह सारी जाँच DGCA और ICAO के नियमों के मुताबिक होती है और अगर कोई कमी मिलती है, तो उसे लॉगबुक में लिखा जाता है ताकि प्रक्रिया भरोसेमंद रहे।
आंतरिक सिस्टम की जाँच
विमान के अंदर के सिस्टम की जाँच भी बहुत जरूरी है। पायलट और को-पायलट कॉकपिट में बैठकर एक खास चेकलिस्ट के आधार पर सारी चीजें जाँचते हैं। वे नेविगेशन सिस्टम, जैसे GPS और रडार को टेस्ट करते हैं। फ्लाइट कंट्रोल, जैसे रडर और एलिरॉन्स के सही काम करने की पुष्टि करते हैं। ईंधन, दबाव और ऊँचाई नापने वाले गेज की सटीकता देखी जाती है। रेडियो और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से बातचीत की जाँच होती है। आपात स्थिति के लिए ऑक्सीजन मास्क, फायर एक्सटिंग्विशर, और बैकअप सिस्टम भी चेक किए जाते हैं। तकनीशियन इंजन, हाइड्रॉलिक सिस्टम और ईंधन लाइनों को देखते हैं। वे ईंधन की शुद्धता और मात्रा, तेल का स्तर और बैटरी की स्थिति जाँचते हैं। आधुनिक विमानों जैसे बोइंग 787 या एयरबस A320 में फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम का सॉफ्टवेयर अपडेट और टेस्ट किया जाता है। इन सारी जाँचों को लॉगबुक में लिखा जाता है ताकि यह प्रक्रिया पूरी तरह विश्वसनीय रहे।
रखरखाव रिकॉर्ड और लोड बैलेंस
विमान का रखरखाव और वजन संतुलन भी उड़ान से पहले चेक किया जाता है। तकनीशियन देखते हैं कि विमान का रखरखाव समय पर हुआ है या नहीं। रखरखाव कई तरह का होता है। इसी के साथ उड़ान की दूरी, वैकल्पिक हवाई अड्डों और आपात स्थिति के लिए सही मात्रा में ईंधन भरा जाता है। यात्रियों, सामान और कार्गो के वजन को विमान के केंद्र के हिसाब से संतुलित किया जाता है ताकि उड़ान स्थिर रहे। यह सारी गणना ट्रेंड तकनीशियन करते हैं और अगर कोई गलती हो, तो उसे तुरंत ठीक किया जाता है।
विमान की आंतरिक सफाई
विमान के अंदर की सफाई यात्रियों के स्वास्थ्य और आराम के लिए बहुत जरूरी है। जब विमान उतरता है और अगली उड़ान के लिए तैयार होता है तो नियमित सफाई की जाती है। सीटों, आर्मरेस्ट और ट्रे टेबल को कीटाणुनाशक से साफ किया जाता है ताकि कोई बैक्टीरिया या वायरस न रहे। सीट बेल्ट को जाँचा और साफ किया जाता है। फर्श पर पड़ा कचरा हटाया जाता है और कारपेट को वैक्यूम किया जाता है। टॉयलेट्स को साफ किया जाता है। टॉयलेट पेपर और साबुन भरे जाते हैं। एयर वेंट्स और सामान रखने की जगहों को भी साफ किया जाता है। ये सफाई कर्मचारी प्रशिक्षित होते हैं और कोविड-19 के बाद WHO और IATA के नियमों के मुताबिक सफाई पर खास ध्यान दिया जाता है।
कुछ उड़ानों के बाद या तय समय पर गहरी सफाई भी होती है। इसमें सीट कवर और कुशन को धोया या बदला जाता है। कारपेट और सीटों की स्टीम क्लीनिंग होती है। HEPA फिल्टर, जो हवा से 99.97% बैक्टीरिया और वायरस हटाते हैं उसे जाँचा या बदला जाता है। खिड़कियों और पैनलों को साफ किया जाता है ताकि केबिन चमकदार दिखे। कोविड-19 के बाद कई एयरलाइंस कीटाणुनाशक स्प्रे या यूवी लाइट का इस्तेमाल करती हैं। गहरी सफाई का रिकॉर्ड रखा जाता है और यह काम नियामक नियमों के अनुसार होता है।