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Fri, Dec 19, 2025

‘किसी भी निर्दोष को नहीं मिलनी चाहिए सजा’, मुंबई ट्रेन विस्फोट पर क्या बोल गए अजित पवार

Written by:Mini Pandey
Published:
अजीत पवार का यह बयान राज्य सरकार के रुख से थोड़ा अलग माना जा रहा है, खासकर तब जब बृहन्मुंबई निगम के चुनाव नजदीक हैं
‘किसी भी निर्दोष को नहीं मिलनी चाहिए सजा’, मुंबई ट्रेन विस्फोट पर क्या बोल गए अजित पवार

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मामले में कुछ निर्दोष लोग भी फंस गए थे। उन्होंने कहा, “कोई निर्दोष नहीं सजायाफ्ता होना चाहिए और कोई दोषी छूटना नहीं चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के सभी 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर रोक लगा दी है लेकिन उनकी रिहाई पर प्रतिबंध नहीं लगाया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का फैसला महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) के तहत दर्ज मामलों में नजीर नहीं माना जाएगा। पवार ने कहा कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने का निर्णय लिया है और सुप्रीम कोर्ट में मजबूत वकीलों के जरिए अपनी बात रखेगी।

पवार का यह बयान राज्य सरकार के रुख से थोड़ा अलग माना जा रहा है, खासकर तब जब बृहन्मुंबई निगम के चुनाव नजदीक हैं। उनके बयान ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। पवार ने कहा, “हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, न ही किसी का समर्थन करते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार हाईकोर्ट की कार्यवाही में खामियों को उजागर करेगी और मामले को मजबूती से लड़ेगी।

भाषा विवाद पर भी टिप्पणी

इसके अलावा, पवार ने मराठी भाषा विवाद पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में आप रहते हैं उसकी भाषा का सम्मान करना चाहिए। गैर-मराठी लोगों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा, “जो लोग मराठी नहीं जानते, उन्हें विनम्रता से कहना चाहिए कि ‘हमें मराठी नहीं आती, हम सीख रहे हैं।’ इससे कोई समस्या नहीं होगी।” यह बयान भी उनके सामान्य रुख से कुछ हटकर माना जा रहा है और इसने भी ध्यान खींचा है।

12 आरोपियों को कर दिया बरी

2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को पलटते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था। विशेष अदालत ने पांच आरोपियों को मौत की सजा और बाकियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मामला जबरन लिए गए इकबालिया बयानों और अविश्वसनीय गवाहों पर आधारित था। साथ ही, जब्त की गई सामग्री और विस्फोटकों को छेड़छाड़ के लिए असुरक्षित बताते हुए सबूत के रूप में अस्वीकार कर दिया था।