क्या ब्राह्मण समाज की गिनती इस देश में नहीं होती?

अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने सरकार पर पक्षपात का इल्जाम लगाया। उनका कहना है कि ब्राह्मण समाज को न शिक्षा में मदद मिलती है, न नौकरी में हिस्सा। EWS आरक्षण को भी बताया धोखा। जानें क्या हैं मांगें।

जातिगत जनगणना को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। कुछ लोग इसके पक्ष में हैं तो कुछ विपक्ष में हैं। राजनीतिक पार्टियों में भी इसका श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। ऐसे में अब अखिल ब्राह्मण समाज द्वारा भी जातिगत जनगणना को लेकर सवाल किए गए हैं।

जातिगत जनगणना के नाम पर हो रहा यह नाटक देश को बांटने का एक सुनियोजित प्रयास है। ब्राह्मण समाज के बच्चे आज भी बिना किसी सरकारी मदद के संघर्ष कर रहे हैं। ना मुफ्त शिक्षा, ना कॉपी-किताबें, ना स्कूल ड्रेस, ना स्कॉलरशिप, ना छात्रावास सुविधा, और ना ही नौकरी में आरक्षण। जब देश के संविधान में समानता का अधिकार दिया गया है, तो फिर ब्राह्मणों को आरक्षण क्यों नहीं?

आख़िर सरकार की नज़र में समानता का अधिकार किसे कहते हैं? क्या ब्राह्मण समाज उस संविधान का हिस्सा नहीं है?

सरकार द्वारा सामान्य वर्ग (EWS) को जो 10% आरक्षण दिया गया है, वह आरक्षण नहीं, एक धोखा है।
इसमें इतनी शर्तें लगा दी गई हैं कि अधिकांश जरूरतमंद ब्राह्मण परिवार उसका लाभ नहीं ले पाते

• 5 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन नहीं होनी चाहिए।
• कोई सरकारी नौकरी नहीं होनी चाहिए।
• 1000 वर्ग फुट से बड़ा आवासीय फ्लैट नहीं होना चाहिए।
• ट्रैक्टर तक होने पर आरक्षण नहीं मिलेगा।
• वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।

यानि कि यदि कोई गरीब ब्राह्मण किसान के पास एक पुराना ट्रैक्टर या पुश्तैनी ज़मीन है, तो उसे आरक्षण नहीं मिलेगा। जबकि दूसरी ओर, जाति के आधार पर कुछ वर्गों को बिना किसी आय जांच के सीधे आरक्षण मिल जाता है चाहे वह किसी बड़े उद्योगपति या किसी अधिकारी का बेटा हो, चाहे उसके पास बंगला, गाड़ी और करोड़ों की संपत्ति ही क्यों ना हो।

अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने सरकार पर पक्षपात का इल्जाम लगाया। उनका कहना है कि ब्राह्मण समाज को न शिक्षा में मदद मिलती है, न नौकरी में हिस्सा। EWS आरक्षण को भी बताया धोखा। जानें क्या हैं मांगें।

क्या यही है सरकार का “समानता का अधिकार”?

क्या यही है सामाजिक न्याय जहाँ गरीब को उसके साधनों के कारण वंचित कर दिया जाए, और अमीर को उसकी जाति के कारण लाभ दे दिया जाए? जातिगत जनगणना यदि केवल कुछ वर्गों को सन्तुष्ट करने और राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है, तो यह संविधान और न्याय दोनों का अपमान है।

ब्राह्मण समाज को हमेशा कर्तव्य, ज्ञान और तपस्या का प्रतीक माना गया, लेकिन आज उसी समाज को योजनाबद्ध तरीके से योजनाओं से वंचित किया जा रहा है। क्या यह अपराध है कि ब्राह्मण समाज ने स्वाभिमान से जीना चुना और आत्मनिर्भर बना रहा? हम सरकार से पूछते हैं  क्या जातिगत जनगणना में ब्राह्मण समाज की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का भी निष्पक्ष आंकलन किया जाएगा?

देश में लाखों ब्राह्मण छात्र गरीबी में उच्च शिक्षा से वंचित हैं, लेकिन उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती। अब समय आ गया है कि ब्राह्मण समाज को भी उसकी संख्या, स्थिति और योगदान के अनुसार सम्मान और हिस्सेदारी मिले। हमें केवल कर्तव्य नहीं, अधिकार भी चाहिए और यह अधिकार हमारा संवैधानिक हक़ है।

यदि सरकार ने उपेक्षा जारी रखी, तो ब्राह्मण समाज लोकतांत्रिक तरीकों से सड़क पर उतरकर अपना विरोध दर्ज कराएगा। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज जातिगत जनगणना के इस पक्षपातपूर्ण स्वरूप और दोहरे मापदंडों को सिरे से खारिज करता है।

पं. पुष्पेंद्र मिश्र
प्रदेश अध्यक्ष
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज, मध्यप्रदेश


About Author
Ronak Namdev

Ronak Namdev

मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

Other Latest News