Sat, Dec 27, 2025

300 रूपये की रिश्वत मामले में 20 साल बाद आया फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने किया आरोपी को बरी

Written by:Shruty Kushwaha
Published:
300 रूपये की रिश्वत मामले में 20 साल बाद आया फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने किया आरोपी को बरी

After 20 years, the Supreme Court gave its verdict in the bribe case : कहते हैं कि देर से मिला इंसाफ इंसाफ नहीं होता। लेकिन जो ये लड़ाई लड़ रहा है या जिसपर आरोप है उसके लिए तो इंसाफ हर हाल में इंसाफ ही होता है। किसी आरोप से मुक्त हो जाना..या दोषी को सजा मिलना बहुत जरूरी है। ऐसे ही एक शख्स पर 300 रूपये रिश्वत लेने का आरोप लगा। मामला अदालत पहुंचा। हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और अंतत: आरोपी को बरी कर दिया गया। लेकिन इस फैसले को आने में पूरे 20 साल लग गए।

ये मामला साल 2003 का है। आरोपी एक क्लीनर के रूप में काम करता था और शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि मृत्यु प्रमाण पत्र की एक प्रति देने के लिए उससे तीन सौ की रिश्वत मांगी गई। इस मामलेे में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समवर्ती निष्कर्षों के खिलाफ अपील की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने आरोपी को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को 300 रूपये की रिश्वत लेने के आरोप से बरी कर दिया। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में अवैध मांग की बात साबित नहीं हुई है।

अदालत ने कहा कि नीरज दत्ता बनाम स्टेट 2022 लाइवलॉ (एससी) 1029 में दोषसिद्धि को बनाए रखने के लिए मांग और वसूली दोनों को साबित किया जाना चाहिए। ये मांग साबित नहीं हो पाई और इस आधार पर आरोपी को बरी कर दिया गया। इस मामले में हाईकोर्ट ने इस आधार पर फैसला सुनाया था कि क्योंकि अपीलकर्ता के पास से रूपये बरामद हुए हैं तो मांग की गई होगी। अब 20 साल बाद इस मामले में फैसला सुना दिया गया है और दो दशक के बाद आए इस फैसले ने आरोपी को राहत दी है।