300 रूपये की रिश्वत मामले में 20 साल बाद आया फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने किया आरोपी को बरी

Supreme Court

After 20 years, the Supreme Court gave its verdict in the bribe case : कहते हैं कि देर से मिला इंसाफ इंसाफ नहीं होता। लेकिन जो ये लड़ाई लड़ रहा है या जिसपर आरोप है उसके लिए तो इंसाफ हर हाल में इंसाफ ही होता है। किसी आरोप से मुक्त हो जाना..या दोषी को सजा मिलना बहुत जरूरी है। ऐसे ही एक शख्स पर 300 रूपये रिश्वत लेने का आरोप लगा। मामला अदालत पहुंचा। हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और अंतत: आरोपी को बरी कर दिया गया। लेकिन इस फैसले को आने में पूरे 20 साल लग गए।

ये मामला साल 2003 का है। आरोपी एक क्लीनर के रूप में काम करता था और शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि मृत्यु प्रमाण पत्र की एक प्रति देने के लिए उससे तीन सौ की रिश्वत मांगी गई। इस मामलेे में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समवर्ती निष्कर्षों के खिलाफ अपील की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने आरोपी को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को 300 रूपये की रिश्वत लेने के आरोप से बरी कर दिया। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में अवैध मांग की बात साबित नहीं हुई है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।