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Fri, Dec 19, 2025

सोनिया गांधी ने किसके लिए बहाए आंसू? लोकसभा में अमित शाह और प्रियंका गांधी के बीच तीखी बहस

Written by:Mini Pandey
Published:
प्रियंका गांधी ने जोरदार पलटवार किया। उन्होंने कहा, "मेरी मां के आंसू तब गिरे जब आतंकवादियों ने मेरे पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को शहीद किया था।"
सोनिया गांधी ने किसके लिए बहाए आंसू? लोकसभा में अमित शाह और प्रियंका गांधी के बीच तीखी बहस

लोकसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। अमित शाह ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उन्होंने 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों के लिए आंसू बहाए थे। शाह ने कहा, “मुझे याद है, एक सुबह नाश्ते के दौरान मैंने टीवी पर सलमान खुरशीद को सोनिया गांधी के घर से रोते हुए निकलते देखा। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी बाटला हाउस की घटना पर रो रही थीं। उन्हें शहीद मोहन शर्मा के लिए रोना चाहिए था, जो आतंकवादियों के हाथों मारे गए।”

इसके जवाब में प्रियंका गांधी ने जोरदार पलटवार किया। उन्होंने कहा, “मेरी मां के आंसू तब गिरे जब आतंकवादियों ने मेरे पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को शहीद किया था।” प्रियंका ने बीजेपी पर पहलगाम हमले में खुफिया और सुरक्षा विफलताओं का आरोप लगाया। उन्होंने पूछा कि इतने बड़े पर्यटन स्थल पर सुरक्षा क्यों नहीं थी और सरकार ने इस हमले को रोकने के लिए क्या कदम उठाए।

आतंकवाद के प्रति नरम रवैया

अमित शाह ने कांग्रेस पर आतंकवाद के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाया और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम की आलोचना की, जिन्होंने पहलगाम हमले के आतंकवादियों के पाकिस्तानी मूल होने के सबूत मांगे थे। शाह ने कहा, “चिदंबरम पाकिस्तान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह कांग्रेस की पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की मानसिकता दर्शाता है।” उन्होंने दावा किया कि बीजेपी सरकार के तहत सशस्त्र बलों ने पहलगाम हमलावरों को तीन महीने के भीतर मार गिराया।

पहलगाम की सुरक्षा चूक पर सवाल

प्रियंका गांधी ने सरकार से पहलगाम हमले की सुरक्षा चूक पर जवाब मांगा। उन्होंने पूछा, “रक्षा मंत्री ने एक घंटे तक भाषण दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि यह हमला कैसे और क्यों हुआ। क्या सरकार को नहीं पता था कि वहां रोजाना 1,000-1,500 लोग आते हैं? वहां न सुरक्षा थी, न प्राथमिक चिकित्सा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।