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Sat, Dec 20, 2025

इंग्लिश को लेकर अमित शाह का कड़ा रुख, बोले “देश में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्म आएगी”, पंच प्रण पर दिया जोर

Written by:Ronak Namdev
Published:
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सिर्फ अंग्रेज़ी बोलने वाले लोग जल्द ही शर्मिंदगी महसूस करेंगे, क्योंकि देशी भाषाओं को अब सरकार बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि देशी भाषाओं में राष्ट्रीय पहचान है और ‘पंच प्रण’ की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे सांस्कृतिक आत्मगौरव को बल मिलेगा।
इंग्लिश को लेकर अमित शाह का कड़ा रुख, बोले “देश में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्म आएगी”, पंच प्रण पर दिया जोर

दिल्ली में आयोजित एक बुक लॉन्च इवेंट में अमित शाह ने जोर देकर कहा, “जो लोग अंग्रेज़ी बोलते हैं, उन्हें जल्द शर्म आ सकती है।” उन्होंने देशी भाषाओं को भारत की आत्मा बताया और अंग्रेज़ी निर्भरता को एक सांस्कृतिक समस्या के रूप में देखा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अब मातृभाषाओं को शिक्षा और प्रशासन में अधिक जगह देगी।

शाह ने स्पष्ट किया कि यह बयान विदेशी भाषा विरोध नहीं बल्कि सांस्कृतिक जागरूकता का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “देशी भाषाएं हमारी पहचान की ज्वेलरी हैं; इनके बिना हम भारतीय नहीं रहेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के ‘पंच प्रण’ में भाषाई गौरव को स्थान मिलेगा और 2047 तक मांट्रिच भाषाओं को सशक्त बनाने की पहल की जाएगी। सरकार शिक्षा तंत्र, सरकारी दस्तावेज और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को स्थानीय भाषाओं में पेश करने की योजना बना रही है, जिससे देश की सांस्कृतिक जड़ों को मजबूती मिलेगी।

मातृभाषाओ को दिया जायेगा बढ़ावा

इस पहल का मकसद देशी भाषाओं का स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में उपयोग बढ़ाना है। शाह ने कहा कि स्कूलों में शुरूआती शिक्षा स्थानीय भाषाओं में दी जाएगी, जिससे बच्चों को अपनी जड़ों से जुड़ने में मदद मिलेगी। साथ ही, सरकारी सर्विसेस और दस्तावेजों को भी स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने पर जोर दिया जाएगा। इससे न केवल लोगों को सुविधा मिलेगी, बल्कि स्थानीय साहित्य और सांस्कृतिक ज्ञान का संरक्षण भी होगा।

‘पंच प्रण’ और भाषाई गौरव

शाह ने ‘पंच प्रण’ को 130 करोड़ भारतीयों की भावनात्मक लगाव बताया, जिसमें भाषाई गौरव का भी स्थान है। उन्होंने कहा कि यह 5 प्रण विकास, स्वतंत्रता, विरासत, एकता और कर्तव्य भाषा के माध्यम से देश को आत्मनिर्भर और गर्वित राष्ट्र बनाएंगे। शाह के अनुसार, भाषाई आत्मगौरव से न केवल हमारी पहचान मजबूत होगी, बल्कि यह समाज में आत्मसम्मान भी बनाए रखेगा।

प्रशासन में भाषा परिवर्तन का असर

सरकार अब अंग्रेजी पर निर्भरता कम करके स्थानीय भाषाओं को सरकारी कामकाज में स्थान देने की दिशा में काम कर रही है। शाह ने यह भी बताया कि आधिकारिक भाषा विभाग में नई ‘देसिभाषा हब’ शुरू की गई है, जो सरकारी संचार में अंग्रेज़ी की भूमिका को कम कर देशी भाषाओं को बढ़ावा देगा। इससे सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और आम जनता की पहुंच आसान होगी।