जीएसटी परिषद ने बुधवार को अपने 56वें बैठक में जीएसटी स्लैब को चार से घटाकर दो करने का फैसला लिया, जिसमें 12 और 28 प्रतिशत के स्लैब को हटाकर 5 और 18 प्रतिशत के स्लैब को बरकरार रखा गया। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि इससे मांग में वृद्धि होगी, जिससे निर्माताओं को उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह सुधार न केवल कर प्रणाली को सरल बनाएगा, बल्कि कई क्षेत्रों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
अमिताभ कांत ने कहा कि जीएसटी सुधारों का यह कदम भारत की आर्थिक चुनौतियों, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। ये टैरिफ, जो रूसी तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद के कारण भारतीय निर्यात पर लगाए गए हैं, भारत के लिए अपनी आर्थिक और रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करने का अवसर प्रदान करते हैं। कांत ने सरकार की त्वरित कार्रवाई की सराहना की और इसे अन्य क्षेत्रों में सुधारों, जैसे कि व्यवसाय करने की सुगमता, के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्या कहा
विपक्ष ने इस सुधार को देर से उठाया गया कदम करार दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 2017 में शुरू हुए ‘एक राष्ट्र, एक कर’ के नारे को ‘एक राष्ट्र, 9 कर’ में बदल दिया गया था। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी कहा कि पुरानी जीएसटी दरें शुरू से ही गलत थीं। जवाब में कांत ने कहा कि जीएसटी एक जटिल ढांचा है, जिसमें सभी राज्य सरकारों की सहमति जरूरी होती है और 28 करों और कई उपकरों को एक कर में बदलना अपने आप में एक बड़ा सुधार था।
जीएसटी सुधारों से कितना बदलाव
अमिताभ कांत ने चेतावनी दी कि केवल जीएसटी सुधारों से दीर्घकालिक उपभोग को बढ़ावा नहीं मिलेगा। इसके लिए विनिर्माण क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियों का सृजन आवश्यक है। उन्होंने ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने और भारतीय उद्यमियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की जरूरत पर जोर दिया। यह सुधार, उनके अनुसार, भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति मजबूत करने का एक अवसर प्रदान करता है।





