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Thu, Dec 18, 2025

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव का ऐलान इसी हफ्ते संभव, राजनीतिक हलकों में हलचल तेज

Written by:Vijay Choudhary
Published:
संवैधानिक नियमों और चुनाव कानूनों को देखते हुए, अगर अधिसूचना इसी हफ्ते जारी होती है, तो अगस्त के आखिरी सप्ताह तक उपराष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो सकता है
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव का ऐलान इसी हफ्ते संभव, राजनीतिक हलकों में हलचल तेज

जगदीप धनखड़

देश को नया उपराष्ट्रपति मिलने की प्रक्रिया अब तेज हो गई है। जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को पद से इस्तीफा देने के बाद उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया है। ऐसे में अब चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, यह ऐलान इसी सप्ताह होने की संभावना है, और अगस्त के अंतिम सप्ताह तक नया उपराष्ट्रपति पदभार ग्रहण कर सकता है।

धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए त्यागपत्र दिया था, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह फैसला विपक्ष के महाभियोग नोटिस को स्वीकार करने के बाद उपजे विवाद के कारण लिया गया। उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, इसलिए वर्तमान में उनकी गैरमौजूदगी में राज्यसभा की जिम्मेदारी उपसभापति हरिवंश के कंधों पर आ गई है।

इस्तीफे के बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू

जैसे ही गृह मंत्रालय ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे का औपचारिक ऐलान किया, चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी। संविधान की धारा 68(2) के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि उपराष्ट्रपति पद रिक्त होने पर चुनाव “जल्द से जल्द” कराए जाएं। हालांकि इसमें कोई निर्धारित समय सीमा नहीं दी गई है, लेकिन 1952 के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव कानून के अनुसार, अधिसूचना जारी होने के 32 दिनों के भीतर चुनाव संपन्न कराना जरूरी होता है।

चुनाव आयोग ने तैयारियां शुरू कीं

चुनाव आयोग सूत्रों के मुताबिक, इस हफ्ते के अंत तक उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। अधिसूचना के जारी होने के 14 दिनों तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। उसके बाद नामांकन पत्रों की जांच होगी और दो दिनों तक नाम वापसी की अनुमति होगी। यदि एक से अधिक प्रत्याशी मैदान में रहते हैं, तो अधिसूचना जारी होने के 15वें दिन के बाद चुनाव कराना अनिवार्य हो जाता है। पिछले चुनावों के जैसे, इस बार भी संभावना है कि राज्यसभा के महासचिव प्रधानमंत्री मोदी को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया जाए।

सत्ता और विपक्ष में रणनीति तेज

उपराष्ट्रपति पद के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के पास अपने-अपने उम्मीदवार उतारने का अधिकार होता है। अगर विपक्ष उम्मीदवार नहीं उतारता, तो सत्ता पक्ष का नामांकन निर्विरोध भी स्वीकार किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद बीजेपी नेतृत्व संभावित उम्मीदवारों की एक अंतरिम सूची तैयार करेगा। संभावना है कि सीनियर और विधायी अनुभव रखने वाले नेता को प्राथमिकता दी जाएगी। दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों से किसी चेहरे को सामने लाने की चर्चा भी हो रही है ताकि सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन बनाया जा सके। विपक्षी दलों की ओर से भी अब संभावित नामों पर विचार शुरू हो चुका है, हालांकि एकता कायम करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

अगस्त के अंत तक होगा चुनाव

संवैधानिक नियमों और चुनाव कानूनों को देखते हुए, अगर अधिसूचना इसी हफ्ते जारी होती है, तो अगस्त के आखिरी सप्ताह तक उपराष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो सकता है। चुनाव आयोग की तैयारियों से संकेत मिलता है कि वह निर्धारित समयसीमा के भीतर प्रक्रिया को पूरा करने को तैयार है। देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए यह चुनाव न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से अहम होगा, बल्कि इससे राज्यसभा की कार्यवाही को फिर से गति भी मिलेगी। सभी की निगाहें अब चुनाव आयोग की ओर हैं, जो कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।