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Tue, Dec 16, 2025

‘जमीन बनी रहेगी विजय की मुद्रा’, आधुनिक युद्ध को लेकर सेना प्रमुख का बड़ा बयान

Written by:Mini Pandey
Published:
उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि युद्ध में सेना अकेले नहीं लड़ती, बल्कि सीमा सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, त्रि-सेवाएं, रक्षा साइबर एजेंसियां, अंतरिक्ष एजेंसियां और अब संज्ञानात्मक युद्ध एजेंसियां भी शामिल होती हैं।
‘जमीन बनी रहेगी विजय की मुद्रा’, आधुनिक युद्ध को लेकर सेना प्रमुख का बड़ा बयान

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को कहा कि युद्ध में स्थल सेनाएं सबसे महत्वपूर्ण होती हैं और भारत के संदर्भ में भूमि पर नियंत्रण ही विजय का निर्धारण करेगा। नई दिल्ली के होटल ताज पैलेस में 52वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने हाल ही में यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई शिखर बैठक का उदाहरण दिया, जहां भूमि के आदान-प्रदान पर चर्चा हुई थी।

जनरल द्विवेदी ने कहा, “भारत में जहां हमें ढाई मोर्चों पर खतरे का सामना है, भूमि ही विजय की मुद्रा बनी रहेगी।” उन्होंने युद्ध की बदलती प्रकृति और भारतीय सेना के परिवर्तनकारी सुधारों के तहत उभरती तकनीकों को शामिल करने के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। इससे पहले, शुक्रवार को एक पुस्तक विमोचन समारोह में जनरल द्विवेदी ने थिएटराइजेशन की आवश्यकता पर जोर दिया था।

युद्ध में सेना अकेले नहीं लड़ती

उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि युद्ध में सेना अकेले नहीं लड़ती, बल्कि सीमा सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, त्रि-सेवाएं, रक्षा साइबर एजेंसियां, अंतरिक्ष एजेंसियां और अब संज्ञानात्मक युद्ध एजेंसियां भी शामिल होती हैं। इसके अलावा, इसरो, नागरिक सुरक्षा, नागरिक उड्डयन, रेलवे, एनसीसी, और राज्य व केंद्रीय प्रशासन जैसी संस्थाएं भी सहयोग करती हैं।

एजेंसियों के साथ समन्वय

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, “इतनी सारी एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए थिएटराइजेशन आवश्यक है, क्योंकि एक कमांडर के नेतृत्व में एकता और कार्यान्वयन में समन्वय जरूरी है।” जनरल द्विवेदी के बयान सेना के आधुनिकीकरण और एकीकृत युद्ध रणनीति की दिशा में भारत के प्रयासों को दर्शाते हैं।