हैदराबाद के सांसद और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में भारत के महत्वपूर्ण सवालों का कोई जवाब नहीं मिला। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान हुई इस बैठक में चीन द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को समर्थन और अफगानिस्तान तक सीपीईसी विस्तार जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई। ओवैसी ने कहा कि चीन ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों की आपूर्ति बहाल करने या भारत से अधिक सामान आयात करने का कोई वादा नहीं किया।
ओवैसी ने लद्दाख की सीमा स्थिति पर भी सवाल उठाए, जहां 2020 के बाद भारतीय सैनिक बफर जोन में गश्त नहीं कर पा रहे हैं और चरवाहों को कई क्षेत्रों में प्रवेश से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाइड्रोलॉजिकल नदी डेटा साझा करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी कोई प्रगति नहीं हुई। AIMIM प्रमुख ने इस मुलाकात को केवल दिखावटी बताते हुए कहा कि यह भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई ठोस परिणाम नहीं दे पाई।
भारत-चीन सीमा विवाद
दूसरी ओर, दोनों नेताओं ने भारत-चीन सीमा विवाद के लिए निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। उन्होंने व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने, व्यापार घाटे को कम करने और वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में दोनों देशों की भूमिका को मान्यता दी। यह बैठक वैश्विक व्यापार में व्यवधानों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ जैसे कदमों की पृष्ठभूमि में हुई।
शांति और स्थिरता का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि भारत आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहमति बढ़ाने और आतंकवाद जैसे चुनौतियों का मिलकर सामना करने का संकल्प लिया।





