असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया, जिसके माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी लोग हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य सीमावर्ती या असुरक्षित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा का एहसास दिलाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक धार्मिक रूप से तटस्थ योजना है, जिसमें केवल वे लोग पात्र होंगे जो भारत में तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं और स्वदेशी माने जाते हैं।
हथियार लाइसेंस केवल कड़ी जांच के बाद ही प्रदान किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा अधिसूचित या अधिकृत सुरक्षा एजेंसियों द्वारा असुरक्षित माने गए लोग ही इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए और उन्हें मानसिक रूप से स्थिर होना आवश्यक है। यह प्रक्रिया एक बहु-स्तरीय जांच के बाद पूरी होगी।
असुरक्षित और दूरस्थ इलाके
सरकारी सूत्रों के अनुसार, बारपेटा, धिंग, धुबरी, जानिया, मोरीगांव, नागांव, रूपही और दक्षिण सलमारा-मनकाचर जैसे क्षेत्रों को असुरक्षित और दूरस्थ माना गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में अब उग्रवाद लगभग खत्म हो चुका है और अपराध की स्थिति में सुधार हुआ है, जिसके कारण हथियारों के ऑनलाइन पंजीकरण की यह सुविधा शुरू की गई है।
अत्यंत निंदनीय बताया
विपक्ष ने इस पहल की कड़ी आलोचना की है और इसे अत्यंत निंदनीय बताया है। पिछले साल मई में असम मंत्रिमंडल ने सीमावर्ती और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों या स्वदेशी भारतीय नागरिकों को हथियार लाइसेंस देने का फैसला किया था, जिसे कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने आलोचना करते हुए कहा था कि इससे फर्जी मुठभेड़ और उगाही की घटनाएं बढ़ सकती हैं।





