बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ज्यादातर समय अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। अब वाराणसी में कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री ने बड़ा बयान दिया है। दरअसल, उन्होंने जातिवाद को लेकर अपनी सोच साझा की है। उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा कि इस समय देश में सबसे तेजी से फैलने वाला जहर जातिवाद है। हम इस देश में जातिवाद नहीं बल्कि राष्ट्रवाद चाहते हैं। दरअसल धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हिंदू राष्ट्र तथा सामाजिक समरसता को लेकर यह बयान दिया है।
इसी दौरान पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जानकारी दी कि 7 नवंबर से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक चलने वाली पदयात्रा सिर्फ हिंदू राष्ट्र और हिंदू एकता के लिए होगी। यात्रा के दौरान यमुना नदी की स्वच्छता व सामाजिक समरसता पर लोगों को जागरूक किया जाएगा। हालांकि इस दौरान उन्होंने राजनीतिक सवालों से थोड़ी दूरी बनाई और कहा कि उनकी गतिविधि सामाजिक है न कि राजनीतिक है।

हिंदू राष्ट्र केवल कागज पर नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में चाहिए: बागेश्वर सरकार
दरअसल प्रेस वार्ता के दौरान बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि ‘उनकी पदयात्रा का मकसद सिर्फ एक संगठन या दल को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि देश में हिंदू एकता को मजबूत करना है। हिंदू राष्ट्र केवल कागज पर नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में चाहिए। इस तरह की सामाजिक समझ से ही हमारी संस्कृति सुरक्षित रह पाएगी। आने वाली जनरेशन को हमें यह संदेश देना होगा। दरअसल, बागेश्वर सरकार ने कहा कि दुनिया में बहुत से देश हैं, जहां मुसलमान और ईसाई बहुसंख्यक हैं, लेकिन भारत में हिंदू बहुसंख्यक हैं, इसलिए इस देश का स्वरूप हिंदू संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए।
आने वाली जनरेशन हमारी संस्कृति को समझ पाए: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
दरअसल, इस दौरान बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने धार्मिक स्थलों की साफ-सफाई और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की भी बात कही। एक तरफ देश में जहां जाति आधारित विभाजन लंबे समय से चलते आ रहे हैं तो वहीं इसे लेकर धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि हमें अब जाति और धर्म से ऊपर उठना होगा। राष्ट्र से बड़ी कोई पहचान नहीं होती है। हमें राष्ट्रवाद चाहिए, जातिवाद नहीं। हम हिंदू राष्ट्र की भावना लोगों के विचारों में डालना चाहते हैं ताकि हमारी संस्कृति बच सके। हमारी संस्कृति से हमारे युवा सीखें, आने वाली जनरेशन हमारी संस्कृति को समझ पाए और पुराने बनारस को देख सके।










