Wed, Dec 24, 2025

Baisakhi 2023: 14 अप्रैल को मनाया जाएगा बैसाखी का त्योहार, जानिए इस दिन क्यों खाया जाता है सत्तू

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
Last Updated:
Baisakhi 2023: 14 अप्रैल को मनाया जाएगा बैसाखी का त्योहार, जानिए इस दिन क्यों खाया जाता है सत्तू

Baisakhi 2023 : बैसाखी का पावन त्योहार पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है जो मुख्य रूप से सिख समुदाय के लोगों का प्रमुख त्योहार होता है। इस त्योहार को साल 1699 में सिखों के 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने पवित्र खालसा पंथ की स्थापना के रूप में बताया था जो कि इस साल मेष संक्रांति के दिन यानि 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस त्योहार को नई फसल के स्वागत के लिए मनाया जाता है। जिसमें बच्चें, बुढ़े, महिलाएं नए कपड़े पहनते हैं। इसके अलावा, इस दिन लोग भारतीय ज्योतिष में नव संवत्सर (New Year) के रूप में भी मनाते हैं।

एक-दूसरे को देते हैं बधाई

इस त्योहार को मनाने के लिए पंजाब और हरियाणा के लोग खेतों में उतरकर बैसाखी दी फेरी (Baisakhi di féri) नामक परम्परा के तहत नाच-गाने करते हैं और इसे बैसाखी मेले के रूप में भी मनाते हैं। इसके अलावा, सिख समुदाय के लोग इस दिन गुरुद्वारे (Gurudwaras) में जाकर अपनी आराधना और प्रार्थनाएं करते हैं। इस त्योहार को मनाकर लोग एक दूसरे को बैसाखी की बधाई देते हैं और मिठाई खिलाते हैं। साथ ही, नाच-गान करते हुए इस त्योहार का आनंद लेते हैं।

सूर्य के उत्सर्जन का दिन

मेष संक्रांति दिन को सूर्य के उत्सर्जन का दिन भी कहा जाता है। सूर्य को जीवन का प्रदाता माना जाता है और सूर्य की पूजा, जप तथा दान करने से भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन कई लोग गंगा जी में स्नान करते हैं जो अपने पापों को धोने के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इसके अलावा, बैसाखी पर सिख समुदाय का पर्व भी मनाया जाता है, जिसे वैसाखी भी कहते हैं। इस दिन सिखों के लिए खास धर्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे कि गुरुद्वारे में कीर्तन, पाठ आदि।

बैसाखी पर सत्तू का भोग

वहीं, बिहार समेत कई पूर्वी राज्यों में मेष संक्रांति पर सत्तू खाने और दान करने की परंपरा रही है। इस दिन लोग सुबह-सुबह नदी में स्नान कर विधि-विधान के साथ सत्तू को आम के साथ खाते हैं। इस दिन से खरमास भी खत्म हो जाता है और सभी मांग्लिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। सत्तू गेहूं, चने या सोरघम के अलग-अलग प्रकार के आटे से बना एक पौष्टिक और सस्ता भोजन है जो उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है। इसलिए भी बैसाखी पर सत्तू का भोग लगाने और दान करने की परंपरा है।

बैसाखी के दिन दान करना शुभ

बैसाखी के दिन दान करना धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन दान करने से न केवल हम दूसरों की मदद करते हैं बल्कि खुशी और शांति का अनुभव भी होता है। दान करने से अमोघ फल प्राप्त होते हैं जो हमें जीवन में सफलता और सुख का अनुभव करने में मदद करते हैं। इसलिए, बैसाखी के दिन दान करना बहुत शुभ होता है।

विश्वभर में अलग-अलग रूप में मनाई जाती है मेष संक्रांति

धर्म और परंपरा के अलावा, मेष संक्रांति दुनिया भर में अलग-अलग नाम और रूपों में मनाई जाती है। भारत के अलावा बाकी देशों में इस दिन को बहुत ही उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। उदाहरण के लिए इस दिन को विशुद्ध करने के लिए हिन्दुओं द्वारा निर्मित गुड़ियों को उड़ाकर अचार्य जी को चढ़ाया जाता है। इसी तरह बांग्लादेश में आम बाजारों का आयोजन किया जाता है, जहां लोग भोजन, परिधान, ग्रामीण हस्तशिल्प आदि की खरीदारी करते हैं। समान रूप से, थाईलैंड में इस दिन को “सोंगक्रान” के नाम से जाना जाता है और इसे जान-बूझकर जोश भरे तरीके से मनाया जाता है।

इस प्रकार, मेष संक्रांति दुनिया भर में भिन्न-भिन्न रूपों में मनाई जाती है लेकिन इसका समान उद्देश्य होता है कि विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में आने वाले नए समय का स्वागत किया जाए।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)