संजौली मस्जिद पर बड़ा फैसला, पूरा ढांचा गिराने के आदेश, वक्फ़ बोर्ड पेश नहीं कर पाया जमीन पर मालिकाना हक के कागज

इस तरह अब पूरी पांच मंजिला संजौली मस्जिद अवैध करार दी गई है। इससे पहले कोर्ट ने ऊपरी तीन मंजिलों को अवैध माना था। वहीं निचली दो मंजिलों के राजस्व रिकॉर्ड को लेकर जवाब देने को कहा गया था।

Big decision on Shimla’s Sanjauli Mosque:  हिमाचल प्रदेश के शहर शिमला की विवादित संजौली मस्जिद मामले की सुनवाई आज शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट में हुई। आयुक्त कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मस्जिद की निचली दो मंजिलों को भी अवैध करार देते हुए इन्हें गिराने के आदेश जारी कर दिए हैं। इस तरह अब पूरी पांच मंजिला संजौली मस्जिद अवैध घोषित कर दी गई है। इससे पहले कोर्ट ने ऊपरी तीन मंजिलों को अवैध माना था।

बता दें वक्फ़ बोर्ड दावा कर रहा था कि निचली दो मंजिलें पुरानी हैं और यह मस्जिद वक्फ़ बोर्ड की जमीन पर बनी हैं। हालांकि, इसका कोई राजस्व रिकॉर्ड कोर्ट में पेश नहीं किया गया, जिसके बाद शनिवार को कोर्ट ने निचली दो मंजिलों को भी अवैध करार देते हुए इन्हें गिराने के आदेश जारी किए।

जमीन के मालिकाना हक़ के कागज पेश नहीं कर पाए वक्फ़ बोर्ड के वकील  

गौरतलब है कि वक्फ़ बोर्ड को आज की सुनवाई में मस्जिद की जमीन पर मालिकाना हक के कागज अदालत में पेश करने सहित मस्जिद का नक्शा भी अदालत को देना था, लेकिन वक्फ़ बोर्ड के वकील न तो अपना पक्ष मजबूती से पाए और ना ही सही कागजात कोर्ट को दे पाए।

क्यों ख़ारिज हो गई वक्फ बोर्ड की दलील 

जानकारी के मुताबिक वक्फ़ बोर्ड की तरफ से पेश वकील ने कहा कि इस जगह मस्जिद 1947 से पहले की थी जिसको तोड़कर बनाया गया। जिस पर नगर निगम कोर्ट ने पूछा कि यदि मस्जिद 1947 से पहले की थी तो पुरानी मस्जिद को तोड़कर नई बनाने के लिए नगर निगम से नक्शा सहित अन्य जरूरी अनुमति क्यों नहीं ली गई? बिना नियमों का पालन किये मस्जिद बना दी गई ये गलत है।

आयुक्त कोर्ट ने पूरी मस्जिद को अवैध बताया  

इस मामले में करीब पौन घंटे बहस चली दोनों पक्षों को सुनने के बाद और दस्तावेजों के देखने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया फिर दोपहर बाद नगर निगम आयुक्त भूपिंदर अत्री ने फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंन साफ कहा कि पूरी मस्जिद अवैध है जिसे गिराया जाए।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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