कर्मचारियों-शिक्षकों को दशहरे से पहले तोहफा, मानदेय में वृद्धि, अब खाते में आएंगे 40000 रुपए, आदेश जारी

honorarium hike

Guest Faculty Honorarium hike : उत्तर प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अतिथि शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि कर दी है।अब शिक्षकों को 40 हजार रुपए मानदेय मिलेगा। AICTE द्वारा मानदेय तय करने के बाद राज्य सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।इससे राज्य के हजारों  अतिथि शिक्षकों को लाभ मिलेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने वाले गेस्ट फैकल्टी को पहले 30 हजार रुपए मानदेय दिया जाता था, इसके तहत तकनीकी शिक्षण संस्थानों के अतिथि शिक्षकों को कक्षाओं में प्रति व्याख्यान 450 रुपये मिलता था, लेकिन हाल ही में तकनीकी शिक्षण संस्थानों के अतिथि शिक्षकों का AICTE द्वारा मानदेय तय किया गया है। AICTE ने इसमें 300 रुपए की वृद्धि करते हुए इसे बढ़ाकर 750 रुपये कर दिया गया है, जिसके बाद अब शिक्षकों को 40 हजार रुपये मानदेय के रूप में दिया जाएगा।इस संबंध में अब राज्य सरकार ने भी वृद्धि के आदेश जारी कर दिए है।

आखिरी बार 2015 में बढ़ा था मानदेय

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  इस फैसले से राज्य के कई शिक्षण संस्थान जो शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है, उन्हें इस नए आदेश का लाभ मिलेगा। इससे पहले AICTE द्वारा अंतिम बार 2015 में 30 हजार रुपये तक मानदेय बढ़ाया गया था और अब करीब 8 साल बाद मानदेय में बदलाव किया गया है। अब तक तकनीकी शिक्षण संस्थानों के अतिथि शिक्षकों को कक्षाओं में प्रति व्याख्यान 450 रुपये निर्धारित था, जो कुल 30000 रुपए होता था। लेकिन अब इसे बढ़ाकर 750 रुपये कर दिया गया है, ऐसे में अब अतिथि शिक्षकों को 40000 रुपए मानदेय के रुप में मिलेगा।

राज्य सरकार ने जारी किया आदेश

टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के स्पेशल सेक्रेटरी अन्नावि दिनेश कुमार द्वारा यूपी के सभी (अनुदानित, राजकीय, घटक व सहयुक्त) इंजीनियरिंग संस्थाओं व यूनिवर्सिटीज को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) द्वारा निर्धारित मानदेय तुरंत लागू करने का आदेश दिया है। इस पर होने वाला व्यय संस्थानों तो अपनी बचत और आय से करना होगा।

 


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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