कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, सेवानिवृत्ति और अनुकंपा नियुक्ति मामले पर सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय

Pooja Khodani
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देशभर के सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए काम की खबर है। सेवानिवृत्ति और अनुकंपा नियुक्ति मामले पर ताजा अपडेट सामने आया है।सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया है कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों के वारिस को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है।

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दरअसल, मामला अहमदनगर महानगर पालिका बनाम अहमदनगर महानगर पालिका कामगार यूनियन का है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर उनके उत्तराधिकारियों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है।न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि यदि इस तरह की नियुक्ति की अनुमति दी जाती है तो बाहरी लोग कभी नियुक्त नहीं हो पाएंगे, भले ही वे अधिक मेधावी या योग्य क्यों न हों।

एक औद्योगिक अदालत ने अहमदनगर महानगरपालिका को अपने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर उनके वारिस को नियुक्ति देने का निर्देश दिया था। इसके बाद मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। अपीलकर्ता के वकील  सुहास कदम ने प्रस्तुत किया कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति स्वचालित नहीं है, बल्कि परिवार की वित्तीय स्थिति, मृतक कर्मचारी पर परिवार की आर्थिक निर्भरता और ऐसे कारकों सहित विभिन्न मापदंडों की सख्त जांच की जानी चाहिए।  जिस पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति भर्ती के सामान्य तरीके के सदा ही अपवाद के तौर की जाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता द्वारा दी गई उक्त दो रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है और निर्णय की पुष्टि की है। औद्योगिक न्यायालय द्वारा पारित अहमदनगर महानगर पालिका को पुरस्कार के प्रावधानों के अनुसार पात्र उत्तराधिकारियों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति प्रदान करने का निर्देश दिया था। इस मामले में औद्योगिक न्यायालय ने पालिका को स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी श्रेणी के कर्मचारियों के कानूनी वारिसों को रोजगार उपलब्ध कराने और सभी श्रेणियों के कानूनी वारिसों को रोजगार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

इसके तहत सरकारी कर्मचारियों के समान सरकारी प्रस्तावों और परिपत्रों के अनुसार अनुकंपा के आधार पर कक्षा- I श्रेणी से चतुर्थ श्रेणी श्रेणी।उक्त पुरस्कार के तहत कर्मचारियों के वारिसों को उनकी सेवानिवृत्ति और सेवानिवृत्ति पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान नहीं की गई थी और अनुकंपा नियुक्ति केवल चतुर्थ श्रेणी श्रेणी के मृत कर्मचारियों के उत्तराधिकारियों को प्रदान की गई थी। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति को हमेशा भर्ती की सामान्य पद्धति के अपवाद के रूप में माना जाएगा। अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति किसी भी प्रकार की सुरक्षा के बिना किसी कर्मचारी की मृत्यु पर प्रदान की जाती है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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