शिमला, डेस्क रिपोर्ट। झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन दोबारा लागू करने के बाद अन्य राज्यों में भी इसकी मांग उठने लगी है।अब हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों लगातार इसे बहाल करने को लेकर आंदोलनरत है। एक तरफ कर्मचारियों ने मानसून सत्र में विधानसभा घेराव का फैसला किया है तो दूसरी तरफ पुरानी पेंशन योजना (old pension scheme) बहाल होगी या नहीं, इस पर सीएम जयराम ठाकुर का बड़ा बयान सामने आया है।
पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि कर्मचारियों को अपनी मांगें रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन सरकार सभी मांगें पूरी की जाए, यह मुमकिन नहीं। प्रदेश की परिस्थितियों के मद्देनजर कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरी होगी या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है।
वही कांग्रेस द्वारा पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर जोर देने पर सीएम ने कहा कि कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर जो हल्ला मचाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, वे शायद भूल रहे हैं कि 2003 में जब प्रदेश में नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू करने का एमओयू साइन हुआ था तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे।
इधर, एनपीएस कर्मचारी संघ का कहना है कि नई पेंशन स्कीम कर्मचारियों के हित में नहीं है, इससे नुकसान हो रहा है, ऐसे में कर्मचारियों द्वारा लगातार पुरानी पेंशन बहाली की मांग की जा रही है।कर्मचारियों के हिस्से का जो पैसा पहले सरकार के खाते में जाता था, वह निजी कंपनियों के खाते में जा रहा है। यदि 9 अगस्त से पहले सरकार इस पर कोई विचार नहीं करती है, तो प्रदेश के हजारों कर्मचारियों द्वारा अगस्त माह में हो रहे विधानसभा सत्र का घेराव किया जाएगा।
दरअसल, 2002 तक देश व प्रदेश में सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले हर एक कर्मचारी को पेंशन मिलती थी, लेकिन 2002 के बाद ओपीएस को बंद कर दिया गया, ऐसे में हिमाचल प्रदेश में फिर पुरानी पेंशन दोबारा लागू करने की मांग को लेकर कर्मचारी लामबंद होने लगे है। हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र से पहले एनपीएस संघ ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अगर सरकार कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देती है तो दो हजार करोड़ खर्च करने होंगे। इस तरह से सरकार 5,500 करोड़ बचा सकेगी।