केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह पिछले साल दो-दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान अनुपस्थित रहे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की दिशा में अपने कदम बढ़ाएं। अदालत ने पिछले न्यायिक आदेश को आधार बनाया, जिसमें कहा गया था कि आम जनजीवन को प्रभावित करने वाले विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले सरकारी कर्मचारियों को संरक्षण प्राप्त नहीं होगा।
केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि वह पिछले साल दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल दौरान काम से अनुपस्थित रहने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करे। अदालत ने इस निर्देश के साथ ही उस वकील की याचिका का निस्तारण भी कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार ने 28 और 29 मार्च 2022 को केंद्र की नीतियों के खिलाफ हुई हड़ताल में शामिल अपने कर्मियों को ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ की घोषणा करने के बजाय सवेतन छुट्टी देकर मदद की है।
राज्य सरकार ने रखा अपना पक्ष
मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ ने सरकार की ओर से अदालत में दायर बयान का हवाला दिया। जिसमें कहा गया था कि 1,96,931 कर्मचारियों का वेतन 28 मार्च को अनुपस्थित रहने और 1,56,845 कर्मचारियों का वेतन 29 मार्च को अनुपस्थित रहने पर रोक दिया गया है। 28 मार्च को अनुपस्थित रहने वाले 24 कर्मचारियों के खिलाफ और 29 मार्च को अनुपस्थित रहने वाले 4 कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी। आंदोलन में भाग लेने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में जो भी न्यायसंगत कार्रवाई होनी है वह करनी चाहिए।
इस नियम के तहत हो सकती है कार्रवाई
चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की एक खंडपीठ ने दोहराया कि सरकारी कर्मचारी जो आम हड़ताल में भाग लेते हैं, जनता के सामान्य जीवन को और सरकारी खजाने को प्रभावित करते हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत सुरक्षा के हकदार नहीं हैं। वही जी बालगोपालन बनाम केरल राज्य और अन्य के मामले में माना कि श्रमिकों या संघों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि वे मौलिक अधिकार की गारंटी की आड़ में आम हड़ताल का आह्वान करें या कर्मचारियों को हड़ताल के लिए उकसाएं। ऐसे में दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ केरल सेवा नियम और केरल सरकार सेवक आचरण नियम, 1960 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है।