मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 28 अप्रैल 1987 को राज्य सरकार ने हरियाणा सचिवालय की तर्ज पर विश्वविद्यालय सहायकों को 3600 रुपये का पे ग्रेड देने का निर्णय किया था। इसके बाद सरकार ने 23 जून 1987 को ये आदेश वापस ले लिया, जिसके बाद सहायकों को 3600 की बजाय 3200 रुपये पे ग्रेड देना शुरू कर दिया।इसके आदेश को लेकर जब विवाद बढ़ा तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, MDU, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सहित आदि अन्य विश्वविद्यालयों ने इसके खिलाफ अलग-अलग याचिकाएं दायर की और कर्मचारियों द्वारा पे ग्रेड 3600 रूपये करने की मांग की गई। इसके बाद हाई कोर्ट ने जुलाई 2019 में कर्मचारियों को पे ग्रेड देने का आदेश दिया, बावजूद इसके विश्वविद्यालय ने इनको लागू नहीं किया।इसके बाद हाई कोर्ट की अवमानना का मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जिस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 4 सप्ताह में आदेश लागू करके, कोर्ट को इससे अवगत करवाने का आदेश दिया।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 18 अगस्त को न्यायधीश जेएल वालिया की अदालत ने अवमानना के मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिए कि हफ्तों में आदेशों को क्रियान्वित करके कोर्ट को इससे अवगत करवाया जाए। पे ग्रेड 3200 से 3600 रूपये होने पर कर्मचारियों को एक लाख से लेकर 7- 8 लाख रूपये तक का फायदा होगा। नियमों के अनुसार फैसले को लेकर 90 दिन में शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।