कर्मचारियों की पुरानी पेंशन पर अपडेट, चुनाव से पहले महासंघ का अहम फैसला, कांग्रेस का बड़ा वादा, क्या मिलेगा लाभ?

Pooja Khodani
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शिमला, डेस्क रिपोर्ट। एक तरफ हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही सियासी हलचल तेज हो गई है, वही दूसरी तरफ अबतक पुरानी पेंशन योजना पर फैसला नहीं हो पाया है। राज्य की जयराम ठाकुर सरकार अबतक इस पर अपना रुख साफ नहीं कर पाई है, वही दूसरी तरफ कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद राज्य में पुरानी पेंशन लागू करने का ऐलान किया है।इधर, आचार संहिता के चलते कर्मचारियों ने अनशन को खत्म करने का फैसला लिया है, लेकिन साफ कहा है कि अगर जरूरत पड़ती है तो इसे फिर से शुरू किया जाएगा। कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल करने वालों के साथ चलेंगे, नहीं तो वोट फॉर OPS दिया जाएगा।

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हाल ही में राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने सोलन में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर इस बार कांग्रेस सत्ता में आती है तो सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया जाएगा। कांग्रेस के सत्ता में वापस आने पर पहली कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के साथ-साथ बेरोजगार युवाओं को एक लाख रोजगार देने के मुद्दे पर भी फैसला लिया जाएगा।  कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ओल्ड पेंशन योजना( OPS)को 10 दिन में लागू करने का वादा किया है।

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वही कर्मचारी-पेंशनर्स संगठन ने तो पहले ही चेतावनी दे चुके है कि यदि सरकार तुरंत पुरानी पेंशन बहाल नहीं करती है तो मिशन रिपीट की बजाए मिशन डिलीट में बदल जाएगा। प्रदेश सरकार जल्द पुरानी पेंशन बहाल नहीं करती है तो इसका खामियाजा उन्हें आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश में उसी सरकार को सत्ता में लाया जाएगा जो सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करेगी। प्रदेश में लगभग 1.50 लाख कर्मचारी NPS और 1 लाख कर्मचारी ओपीएस के दायरे में आते हैं।

जानें कितना पड़ेगा भार

केंद्र की अटल सरकार ने NPS लाया था, लेकिन हिमाचल में इसे वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार ने लागू किया था, इसलिए जब भी ops की बात आती है तो दोनों मुख्य दल एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते हैं। हिमाचल में वर्तमान में पेंशन का भुगतान करने के लिए वार्षिक 7500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। यदि सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल की तो 2030 में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन पर होने वाला खर्च 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। 2004 में OPS लागू होने के बाद डेढ़ लाख कर्मी सरकारी विभागों में भर्ती हुए।

क्या फायदा OPS

  • वर्ष 2003 से पहले वाले कर्मचारियों को सेवाकाल की अवधि और बेसिक के साथ DA को मिलाकर कम से कम 9000 पेंशन मिलता है, जबकि NPS के तहत 2 लाख रुपये तक की जमाराशि पर न्यूनतम 554 रुपये मासिक पेंशन है।
  • इसमें पेंशनर अधिकतम 5000 रुपये, औसतन 2200 से 3000 तक है। हर माह 22 तारीख को बेसिक व DA का 14% हिस्सा NSDL कंपनी के खाते में जाता है। कर्मचारियों का 10% और सरकार की ओर से 14% हिस्सा यानी दोनों शेयर बाजार में निवेश होते हैं।
  • NPS के तहत कर्मचारियों की संख्या 1.10 लाख तो OPS के तहत 80000 है। छठे वेतन आयोग में अब OPS के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारी को न्यूनतम 18000 पेंशन देने का प्रविधान है।
  • NPS लागू होने के बाद 700 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए और 600 मासिक पेंशन ले रहे हैं।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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