बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के इतिहास को लेकर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने दावा किया कि 1970 के दशक में जनसंघ ने बिहार में कर्पूरी ठाकुर की सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी, क्योंकि ठाकुर ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण लागू किया था। कांग्रेस ने इसे बीजेपी की ओबीसी-विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया और कहा कि यह इतिहास आज भी प्रासंगिक है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक न्याय के लिए ओबीसी आरक्षण की शुरुआत की थी, जो उस समय क्रांतिकारी कदम था। हालांकि, जनसंघ और अन्य दक्षिणपंथी ताकतों ने इसका विरोध किया और ठाकुर की सरकार को अस्थिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी आज भी सामाजिक न्याय के मुद्दों पर दोहरा रवैया अपनाती है और वोट बैंक की राजनीति के लिए ओबीसी समुदाय का इस्तेमाल करती है।
‘सामाजिक न्याय की बात करते हैं, लेकिन…‘
कांग्रेस ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बिहार में सामाजिक न्याय की बात करते हैं, लेकिन उनकी पार्टी का इतिहास इसका खंडन करता है। पार्टी ने मतदाताओं से अपील की कि वे बीजेपी की नीतियों का विश्लेषण करें और सामाजिक समानता के लिए लड़ने वाली पार्टियों का समर्थन करें। कांग्रेस ने कर्पूरी ठाकुर को सामाजिक न्याय का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनकी विरासत को कमजोर करने की कोशिशें आज भी जारी हैं।
राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज
बिहार में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाकर ओबीसी वोटरों को लुभाने की कोशिश की है, जो बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यह विवाद बिहार के चुनावी माहौल को और गर्माने की संभावना है, क्योंकि सभी दल सामाजिक न्याय और आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं।





