देश की सर्वोच्च अदालत में आज बिहार में चल रही मतदाता सूची के गहन परीक्षण ( SIR ) सुनवाई हुई, लेकिन चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी पर सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों की निष्क्रियता पर हैरानी जताई। चुनाव आयोग ने बताया कि जिन मतदाताओं के नाम सूची से हटाये गए हैं उन्हें वापस जुड़वाने के लिए कोई भी राजनीतिक दल आगे नहीं आया है, आयोग ने जानकारी दी कि राजनीतिक दलों के पूत लेवल एजेंट्स के माध्यम से अब तक मात्र दो आपत्तियां दर्ज कराई गई है।
दरअसल बिहार में चल रही SIR का विपक्ष विरोध कर रहा है, सांसद से लेकर सड़क तक विपक्ष एसआईआर के मुद्दे पर हंगामा कर रहा है, संसद के मानसून सत्र में भी दोनों सदनों में SIR के मुद्दे पर गतिरोध देखा गया वहीं बिहार दौरे पर मौजूद राहुल गांधी, तेजस्वी यादव के साथ चुनाव आयोग पर हमलावर है, वो वोट चोरी सहित अन्य मामलों में चुनाव आयोग को घेर रहे हैं।
SIR के खिलाफ इन दलों ने लगाई हैं याचिकाएं
SIR का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, आज इस मामले में सुनवाई हुई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की बेंच ने SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिकाएं RJD सांसद मनोज झा, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव, TMC सांसद महुआ मोइत्रा और बिहार के पूर्व MLA मुजाहिद आलम ने दायर की हैं।
अब तक केवल 2 आपत्तियां मिलीं, SC ने निष्क्रियता पर जताई हैरानी
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि 85 हजार नए मतदाता वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं। साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के बूथ लेवल एजेंट्स के जरिए अभी तक सिर्फ दो आपत्ति दर्ज कराई गई हैं। इतना सुनते ही सर्वोच्च अदालत ने राजनीतिक पार्टियों की निष्क्रियता पर हैरानी जताई। अदालत ने राजनीतिक दलों के वकीलों से पूछा अप लोग क्या कर रहे हैं, मतदाता और स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच इतनी दूरी क्यों है ?
फॉर्म 6 के साथ आधार कार्ड सहित 11 दस्तावेज में से कोई भी एक जमा हो सकेगा
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि अब कोई भी मतदाता स्वयं या राजनीतिक पार्टी के बूथ लाल एजेंट की मदद से ऑनलाइन आवेदन आकर सकता है उसे भौतिक तौर पर फॉर्म जमा करने की जरुरत नहीं है, सर्वोच्च अदालत ने ये भी कहा कि आवेदक फार्म 6 के साथ आधार कार्ड समेत 11 दस्तावेजों में से कोई भी एक दस्तावेज जमा कर सकता है।





