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Wed, Dec 17, 2025

जेल में बंद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को बर्खास्त करने वाला विधेयक, क्या है इनसाइड स्टोरी

Written by:Mini Pandey
Published:
विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए खतरा बताते हुए इसे पुलिस राज्य की ओर बढ़ने वाला कदम करार दिया।
जेल में बंद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को बर्खास्त करने वाला विधेयक, क्या है इनसाइड स्टोरी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान 130वां संशोधन विधेयक पेश किया, जिसके तहत 30 दिन से अधिक समय तक जेल में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को उनके पद से हटा दिया जाएगा, अगर उन पर पांच साल से अधिक की सजा वाला अपराध दर्ज है। इस विधेयक को विपक्ष ने कठोर और असंवैधानिक करार देते हुए इसका तीव्र विरोध किया। विपक्ष का आरोप है कि सत्तारूढ़ बीजेपी इस कानून का दुरुपयोग केंद्रीय एजेंसियों के जरिए गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों को फंसाने और राज्य सरकारों को अस्थिर करने के लिए कर सकती है।

यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन का प्रस्ताव करता है। इसमें प्रावधान है कि गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और 30 दिन से अधिक हिरासत में रहने वाले किसी भी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को पद से हटाया जा सकता है, भले ही उनकी सजा न हुई हो। विधेयक में यह भी कहा गया है कि रिहाई के बाद ऐसे व्यक्ति को फिर से उच्च पद पर नियुक्त किया जा सकता है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक नैतिक मानकों को ऊंचा करने और राजनीति में स्वच्छता बनाए रखने के लिए लाया गया है।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए खतरा

विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए खतरा बताते हुए इसे पुलिस राज्य की ओर बढ़ने वाला कदम करार दिया। लोकसभा में विधेयक पेश होने पर हंगामा हुआ, कुछ सांसदों ने कागज फाड़कर अमित शाह की ओर फेंके। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी ने इसे सत्ता बनाए रखने की चाल बताया, जबकि शिवसेना (यूबीटी) और AIMIM ने इसे तानाशाही की ओर बढ़ने वाला कदम करार दिया।

विधेयक पास होने की कितनी उम्मीद

हालांकि, इस विधेयक के पारित होने की संभावना कम है क्योंकि इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत चाहिए, जो एनडीए के पास नहीं है। इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है, जिससे इसकी प्रक्रिया लंबी होगी। विश्लेषकों का मानना है कि यह सरकार की ओर से एक राजनीतिक चाल हो सकती है, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार विरोधी छवि बनाना और विपक्ष को कटघरे में खड़ा करना है।